राज्य महिला आयोग ने दिए निर्देश : मृत माता के बदले आवेदिका पुत्री को दिया जाए योग्यता अनुसार अनुकम्पा नियुक्ति

आवेदिका की बहन और भतिजी की आत्महत्या पर संदेह, मामले का दुबारा जांच करने का सरगुजा पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया गया

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्यगण मान. सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, मान. श्रीमती सरला कोसरिया ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 334 वी. एवं रायपुर जिले में 156 वी. जनसुनवाई की गई।

आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि आवेदिका की मां की मृत्यु के बाद आवेदिका (पुत्री) को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिली है। अनावेदक ने आयोग के समक्ष प्रस्ताव दिया कि आवेदिका ने अब तक अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है इसलिए पात्रता या अपात्रता का निराकरण अभी नहीं किया गया है। आवेदिका ने बताया कि उसे ए.डी.एम. जगदलपुर ने बताया कि शिक्षाकर्मियों का संविलियन 2018 के बाद हुआ उसके बाद से अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान हुआ, इस कारण आवेदिका ने आवेदन अब तक नहीं किया है। आयोग के द्वारा जानकारी लेने पर शिक्षाकर्मी वर्ग- 01 2018 के पूर्व मृत सदस्यों के परिजनों को शिक्षाकर्मी वर्ग-03 पर अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान है। उभय पक्षों को समझाईश दिया गया कि आवेदिका अपना अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन प्रस्तुत करें व अनावेदक 1 माह के भीतर इसका निराकरण करें और आवेदिका इसकी सूचना आयोग दें सूचना के पश्चात् अंतिम निर्णय लिया जायेगा।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत की थी। लेकिन जांच समिति के सदस्यों ने अनावेदक को दोषी नहीं पाया। आवेदिका का कथन है कि गवाहों ने अपना बयान बदल दिया है। ऐसी दशा में आवेदिका की शिकायत का निराकरण जो समिति से किया जाना था वह स्वमेव संदिग्ध हो जाता है इसलिए आयोग द्वारा प्रकरण को जांच हेतु दुर्ग कलेक्टर को भेजा जायेगा कि वह अपने अधीन कार्यरत् किसी वरिष्ठ महिला अधिकारी की अध्यक्षता में गठित एल.सी.सी. (स्थानीय जांच कमेटी) के द्वारा इस प्रकरण की जांच कराकर 03 माह के अंदर आयोग में रिपोर्ट प्रस्तुत करें व स्वामी आत्मानंद जे.आर.डी. दुर्ग में पदस्थ समस्त शिक्षक-शिक्षिकाओं का स्थानांतर अनयंत्र स्थान पर कराया जाना आवश्यक है। समस्त तथ्यों में कलेक्टर को पत्र प्रेषित कर 03 माह के भीतर रिपोर्ट मंगायी जायेगी, ताकि समस्या का निराकरण हो सके।

एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि आयोग द्वारा पूर्व में भरण-पोषण 4000 रू. देने का आदेश अनावेदक को दिया था। अनावेदक उसका पालन कर रहा है किंतु आवेदिका को उसके बच्चों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। आयोग की समझाईश के बाद अनावेदक ने आवेदिका के लिए 1 मकान की व्यवस्था, बच्चों का भरण-पोषण करना स्वीकार किया और बच्चे भी आवेदिका के पास ही रहेंगे। प्रकरण की निगरानी आयोग के द्वारा की जायेगी, इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ने एथेनॉल प्लांट लगाने मेें नियम की अवहेलना  कर गांव के बुजुर्ग और असहाय महिलाओं के खिलाफ झूठी एफ.आई.आर. दर्ज कर सभी को फंसाया है तथा ग्रामवासी प्लांट से निकलने वाली बदबू से भी परेशान है। अनावेदक ने आयोग ने अपने दस्तावेज प्रस्तुत किये तथा बेमेतरा कलेक्टर से जांच कराने के लिए तैयार है। जांच होने तक आवेदिका के गांव की महिलाओं के खिलाफ दर्ज एफ.आई.आर. वापस लेने के लिए तैयार है। अनावेदक का प्रस्ताव है कि ग्रामवासी भी आने-जाने वाले पर रास्ता रोकने व उन्हें डराये- धमकाये नहीं। उभय पक्षों को समझाईश दिया गया। कलेक्टर बेमेतरा से जांच रिपोर्ट मंगाया जायेगा उसके बाद अंतिम सुनवाई की जायेगी। कलेक्टर बेमेतरा को आयोग के द्वारा पत्र प्रेषित किया जायेगा, ताकि ऐथेनॉल प्लांट निर्माण में की गई समस्त विसंगतियों की जांच की जाये व 1 माह के अंदर निराकरण कर आयोग को रिपोर्ट प्रेषित करें, ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

अन्य एक प्रकरण में आयोग के द्वारा दोनो पक्षों को समझाईश दी गई जिसपर दोनो पक्ष सहमत हुए, समझाईश के बाद अनावेदक आवेदिका को एक मुश्त भरण-पोषण की राशि 4 लाख रू. देने व आवेदिका की शादी का समस्त सामान देना स्वीकार किया। सुनवाई के दौरान अनावेदक ने आवेदिका को एक मुश्त भरण-पोषण राशि की प्रथम किश्त 1 लाख रू. आयोग के समक्ष दिया। दोनो के मध्य सुलहनामा स्टाम्प पेपर पर तैयार किया जायेगा तत्पश्चात् प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा।

एक प्रकरण में आवेदिका ने शिकायत दर्ज करवायी कि आवेदिका की बहन व उसकी पुत्री की जानबूझ कर हत्या की गई है, जिसे आत्महत्या बताया गया। इस प्रकरण में जांच कर रही पुलिस की टीम के अनुसार मृतका के आत्महत्या के प्रकरण का खात्मा कर दिया गया है और इसमें किसी के विरूध्द अपराध पंजीबध्द नहीं किया गया है। आवेदिका की बहन और नाबालिक पुत्री दोनो परसा पेड़ की डंगाल में रस्सी के माध्यम से लटकी मिली, जिसे आत्महत्या बताया गया, जबकि दोनो के पांव जमीन पर ऐसे लगे थे मानो वो खड़े है। इसे सुनियोजित षड्यंत्र का मामला समझकर जांच किया जाना था, लेकिन अनावेदक को बचाने के लिए सारे प्रयास किये गये। आयोग ने कहा कि इस संदेह की पुष्टि फॉरेंसिंक एक्सपर्ट से जांच के बद ही कहा जा सकता है। आयोग की ओर से डी.जी.पी. व एस.पी. सरगुजा को मृतिका के मृत्यु के संबंध में आत्महत्या की आड़ में हत्या किये जाने के अंदेशे के आधार पर पुनः  जांच कार्यवाही प्रारंभ किये जाने हेतु पत्र प्रेषित किया जायेगा। रिपोर्ट के बाद प्रकरण में निर्णय लिया जायेगा।

एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि वह 06 माह की गर्भवती है और अनावेदक (पति) द्वारा उसके साथ मारपीट किया जाता है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक ने आवेदिका से माफी मांगी और भविष्य में मारपीट ना करना स्वीकार किया इस प्रकरण को निगरानी आयोग के द्वारा की जायेगी। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) का अन्य महिला से संबंध है। और इस वजह से दोनो पति-पत्नि डेढ़ साल से अलग रह रहे है। दोनो के मध्य विवाद का कारण दूसरी महिला है। आवेदिका के दो बच्चे भी है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक ने आवेदिका को एकमुश्त भरण-पोषण राशि 5 लाख रू. देना स्वीकार किया, साथ ही आवेदिका व बच्चों को रहने के लिए 1 मकान भी देगा व आपसी राजीनामे से तलाक की प्रक्रिया संपन्न होगी। जब तक प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती अनावेदक आवेदिका व बच्चों के भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 11 हजार रू. देगा। समस्त प्रक्रिया पूर्ण होने पर प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा।

एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि वह 70 वर्ष से जमीन पर अपने परिवार के माध्यम से काबीज है और अनावेदक ने आवेदिका के मकान पर कब्जा कर लिया है। यह एक वृहद जांच का विषय है। आयोग ने कहा कि इस पर कलेक्टर रायपुर को पत्र भेजकर मौके पर आवेदिका के 70 वर्ष पुराने कब्जे की जमीन सीमांकन कराया जाना तथा अनावेदक के द्वारा की गई रजिस्ट्री की वैधानिक जांच कराना आवश्यक है। इस हेतु कलेक्टर, एस.डी.एम के नेतृत्व में 2 माह कीे अंदर आवेदिका के कब्जे की जमीन का सीमांकन के निर्देश आयोग द्वारा दिया जायेगा व तब तक आवेदिका की जमीन पर किसी भी तरह की बेदखली पर रोक लगायी जायेगी। 02 माह के अंदर प्रतिवेदन प्राप्त होने के पश्चात् अंतिम निर्णय लिया जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

This will close in 20 seconds