वैभव, सुख-समृद्धि व खुशहाली, कमल के फूल का है महत्व भारी, मां लक्ष्मी को है बड़ी प्यारी
रायपुर : वैभव, सुख-समृद्धि व खुशहाली का त्योहार दीपावली रविवार को मनाया जाएगा। दीपावली पर देवी लक्ष्मी व भगवान गणेश की पूजा की जाएगी। इस दौरान मां लक्ष्मी व गणेश की पूजा में कमल फूल चढ़ाएंगे। इसके चलते धनतेरस के दिन से ही शहर में कमल फूल की मांग बढ़ गई है। लोग खरीदारी के लिए पहले से ही दुकानदार से आर्डर करवा रहे हैं। मान्यता है कि इस दिन बाकी फूलों से ज्यादा कमल के फूल का महत्व सबसे अधिक होता है। धनतेरस के दिन भगवान धानवंतरी की पूजा हुई।
पूजा अर्चना के चलते फूलों का बाजार गुलजार रहा। पर्व पर गेंदे की जमकर खरीदारी की गई। इसके साथ ही दीपावली के एक दिन पहले से ही कमल फूल की मांग होने लगी है। इसको लेकर फूल व्यापारियों ने दूसरे राज्यों के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों से भी कमल फूल खरीद रहे हैं। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हर कोई दीपावली के दिन कमल का फूल लेना चाहता है।
फुल दुकानों में एक कमल का छोटा फूल 50 रुपये से 100 रुपये तक बिक रही है। वहीं घरों व दुकानों को केला झाड़ का मंडप बनाकर उसे गेंदा फूल व आम पत्तों से सजाने का चलन बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि ग्रामीण इलाकों से हजारों की संख्या में मंगाए जाने वाले केले के वृक्ष को हाथों हाथ खरीदा जा रहा है। फूल व्यापारियों ने बताया कि आम दिनों में भी गेंदा फूल से बनी माला भगवान को अर्पित करने के लिए खूब बिकती है, लेकिन दीपावली पर घर-घर व्यापारिक प्रतिष्ठानों को सजाने व महालक्ष्मी पूजा में उपयोग करने से खपत कई गुणा बढ़ जाती है।
दीपावली में फूल कोलकाता से मंगाए जाते हैं, साथ ही जिले के ग्रामीण इलाकों से कमल फूल की आपूर्ति की जाती है। गेंदा फूल की एक छोटी माला कम से कम 30 रुपये में बिकती है। दीपावली पर फूलों की इतनी मांग होती है कि दो फूल की कीमत भी पांच रुपये से कम नहीं होती। बाक्स आम के पत्ते का है विशेष महत्व शहर में आम का पेड़ नाम मात्र को बचे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के किसान आम के पत्ते तोड़कर शहर में बेचते हैं।
इसलिए आम पत्तों से भरी एक छोटी-सी डंगाल भी 10 रुपये में बेचनी पड़ती है। चौक-चौराहों पर आम पत्ता बेचने के लिए सैकड़ों लोग दुकान लगाते हैं। मां लक्ष्मी की पूजा से लेकर घरों के सामने टांगने के लिए आम के पत्ते का उपयोग किया जाता है। बाक्स धान की झालर को सजाने की है परंपरा धान की झालरों को अपने घरों में सजाने की परंपरा काफी पुरानी है। धनतरेस के साथ ही बाजारों में भी झालरें बिकने लगती हैं।
बाजारों में इस तरह की झालर की खूब डिमांड रहती है। लोक-संस्कृति अपनी खुशियों को प्रकृति के साथ बांटती है और उसे सहेजती है। पूजा में धान का महत्व होने के चलते इसे लोग पूजन सामग्री के साथ खरीद रहे हैं। यह सुंदर दिखने के साथ ही अन्नदेवता का प्रतीक है। द्वार पर धान की बाली लगाने से घर हमेशा धनधान्य भरे रहने की मान्यता है। मां लक्ष्मी की पूजा में फल व मिठाई के साथ धान रखना शुभदायी माना जाता है। गांव-गांव में पर्व विशेष पर हर घर में धान की बाली द्वार पर सजाने की परंपरा है।