इस वर्ष शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व महाशिवरात्रि आठ मार्च (शुक्रवार) को मनया जाएगा। ज्योतिर्विदों के मुताबिक इस बार महापर्व पर ग्रहों की विशेष युति के साथ शिव और सर्वार्थसिद्धि योग में महादेव की आराधना होगी। दिनभर श्रावण नक्षत्र के बाद धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। कुंभ राशि में सूर्य, शनि, बुध की युति बन रही है। माना जाता है कि जब नक्षत्र, योग और ग्रहों की अनुकूल स्थित में शिव आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ऐसे दुर्लभ संयोग 300 वर्ष में एक या दो बार उपलब्ध होते हैं।
आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के मुताबिक फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। चतुर्दशी तिथि आठ मार्च को रात 9.57 से, नौ मार्च को शाम 6.17 बजे तक रहेगी। महाशिवरात्रि में रात्रि की प्रधानता होती है। इसके चलते आठ मार्च को पर्व मनाया जाएगा।
प्रथम पहर का पूजन शाम 6.25 से रात 9.28 बजे तक, द्वितीय का रात 9.29 से 12.31, तृतीय का 12.32 से तड़के 3.34 और चतुर्थ का पूजन तड़के 3.35 से सुबह 6.37 बजे तक होगा। नौ मार्च को पारणे का समय 6.38 से दोपहर 3.29 बजे तक रहेगा। पं. विनायक शर्मा के अनुसार महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन के पर्व के रूप में मनाया जाता है। एक दिन पहले त्रयोदशी को भी एक ही समय भोजन करना चाहिए। इसके बाद को सुबह नित्यकर्म के बाद पूरे दिन व्रत का संकल्प लें।
इसलिए खास है शिव, सिद्ध और श्रावण नक्षत्र
ज्योतिर्विद पं. कान्हा जोशी के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि पर बन रहे शिव, सिद्ध और श्रावण नक्षत्र खास है। इनके संबंध में धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि शिव योग में शुभ समय पर भोलेनाथ की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। घर में शुभ कार्य के योग बनते हैं। सिद्ध योग का संबंध महादेव के पुत्र विघ्नहर्ता भगवान गणेश से हैं। इस योग में पूजा करने से सभी कार्य में सिद्धि मिलती है। श्रवण नक्षत्र में जो भी कार्य किए जाते हैं, उसका परिणाम शुभ होता है। श्रवण नक्षत्र की पूर्णिमा से शिव के प्रिय श्रावण माह की शुरुआत होती है।
महाशिवरात्रि पर उत्सव, शोभायात्रा और अनुष्ठान की तैयारी
– गेंदेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर परदेशीपुरा में शिव-पार्वती विवाह उत्सव मनाया जाएगा।
– शिव मंदिर देवगुराड़िया में मेला लगेगा।
– बाणेश्वरी कुंड बाणगंगा से शोभायात्रा निकाली जाएगी।
– राजेंद्र नगर स्थित श्रीराम मंदिर में हरि-हर महायज्ञ सात व आठ मार्च को होगा।
– प्राचीन भूतेश्वर महादेव मंदिर, गोपेश्वर महादेव मंदिर, इंद्रेश्वर महादेव मंदिर पर विशेष शृंगार होगा।