कभी आतंकवादी तो कभी वकील, नसीरुद्दीन शाह की ये 8 परफॉर्मेंस कभी नहीं भूल पाएंगे आप

मुंबई : नसीरुद्दीन शाह इंडस्ट्री के ऐसे कलाकार हैं, जो मसाला फिल्मों के साथ आर्ट फिल्मों में भी समान रूप से सफल रहे हैं। विशुद्ध कमर्शियल फिल्मों में नसीर ने रोमांस से लेकर एक्शन और कॉमेडी तक की है। वहीं, आर्ट सिनेमा में उन्होंने सार्थक अभिनय की छाप छोड़ी।

साल 1975 में 25 साल के नसीर ने हिंदी सिनेमा में फिल्म ‘निशांत’ से डेब्यू किया और अपनी पहली ही फिल्म से इंडस्ट्री के उभरते सितारे बन गए।

नवाब थे नसीरुद्दीन शाह

20 जुलाई 1950 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जन्मे नसीरुद्दीन एक नवाब फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। नसीर ने इंडस्ट्री में कदम रखने से पहले दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से अभिनय का ज्ञान लिया। जब नसीर ने बॉलीवुड में डेब्यू किया तो उस वक्त राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन जैसे सितारे अपने चरम पर थे।

बड़े-बड़े सुपरस्टार के आगे नसीरुद्दीन ने अपना एक अलग मुकाम हासिल किया। उन्होंने अपने अभिनय के दम पर इंडस्ट्री में एक अमिट छाप छोड़ी और अभी तक ये सिलसिला जारी है।

नसीरुद्दीन शाह की बेस्ट परफॉर्मेंस

नसीरुद्दीन शाह ने अपने करियर में हर तरह का किरदार निभाया है। कभी हीरो बने, तो कभी विलेन, कभी कानून के खिलाफ लड़े तो कभी न्याय के लिए। उन्होंने अपनी हर भूमिका में जान फूंकी है। यूं तो हिंदी सिनेमा में नसीर की सभी परफॉर्मेंस काबिल-ए-तारीफ रही हैं, लेकिन चलिए आपको कुछ चुनिंदा 8 बेस्ट परफॉर्मेंस के बारे में बताते हैं।

मासूम (Masoom)

साल 1983 में रिलीज हुई ‘मासूम‘ में नसीरुद्दीन शाह  ने देवेंद्र कुमार का किरदार निभाया था। फिल्म की कहानी उनके और उनके नाजायज बेटे के इर्द-गिर्द घूमती है। जब नसीर को पता चलता है कि उनका पिछले अफेयर से एक बेटा है तो वह उसे अपने घर ले आता है, लेकिन उसकी पत्नी उस बच्चे को स्वीकार नहीं करती है।

सरफरोश (Sarfarosh)

जॉन मैथ्यू की ‘सरफरोश‘ (1999)  आमिर खान के करियर में एक मील का पत्थर साबित हुई थी। हालांकि, भले ही आमिर इस फिल्म में लीड रोल में थे, लेकिन नसीरुद्दीन शाह ने हमेशा की तरह अपनी उम्दा एक्टिंग से सारी लाइमलाइट चुरा ली थी। फिल्म में वह इंडो-पाक टेरेरिस्‍ट गुलफाम हसन बने थे।

आक्रोश (Aakrosh)

1980 में रिलीज हुई गोविंद निहलानी की फिल्म ‘आक्रोश‘ में समाज में मौजूद जातिगत भेदभाव को दर्शाया जाता है। नसीरुद्दीन ने फिल्म में एक ऐसे वकील का किरदार निभाया, जो उस आरोपी के फेवर में केस लड़ता है, जिन पर अपनी पत्नी के मर्डर का आरोप है। जब वह इसकी पड़ताल करते हैं तो वह भारत में हो रहे जातिवाद के कड़वे सच से रूबरू होते हैं।

मोहरा (Mohra)

1994 में आई अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और रवीना टंडन की फिल्म ‘मोहरा‘ में नसीरुद्दीन शाह मिस्टर जिंदल के रोल में दिखाई दिए थे। फिल्म में वह अंधे बनने का नाटक करते हैं और सीधा बनकर अपनी नापाक हरकतों के लिए सुनील शेट्टी को अपने मोहरे की तरह इस्तेमाल करते हैं। इस फिल्म में अपनी परफॉर्मेंस से नसीर ने साबित कर दिया था कि वह हर किरदार में ढलना जानते हैं।

जाने भी दो यारो (Jaane Bhi Do Yaaro)

कुंदन शाह निर्देशित फिल्म ‘जाने भी दो यारो‘ (1983) भारतीय सिनेमा में कल्ट फिल्म मानी जाती है। मूवी में नसीरुद्दीन ने फोटोग्राफर विनोद चोपड़ा का किरदार निभाया था। इस मूवी में भ्रष्टाचार को बड़े मजेदार तरीके से दिखाया गया था, जिसकी वजह से ये दर्शकों की फेवरेट फिल्म बन गई थी। नसीर ने अपने अलग किरदार से एक बार फिर क्रिटिक्स का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था।

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