कभी लड़कों के साथ गली में खेलती थी… पिता ने बताई शुचि के नेशनल क्रिकेटर बनने की कहानी

जबलपुर। जबलपुर संभाग के मंडला जैसे आदिवासी बाहुल्य जिले में महिला क्रिकेट की बात थोड़ी अजीब सी लगती है, लेकिन शुचि उपाध्याय ने क्रिकेट में अपनी धाक जमा कर मंडला को राष्ट्रीय परिदृश्य पर ला दिया है।
संभाग की बेटी शुचि पहली बार भारतीय महिला सीनियर क्रिकेट टीम में चुनी गई है, जो दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका के खिलाफ ट्राई सीरीज में खेलेंगी। बाएं हाथ की स्पिनर 24 वर्षीय शुचि का सपना अब भारत के लिए शानदार प्रदर्शन कर टीम को जीत दिलाना है।
लड़कों के साथ खेल कर क्रिकेटर बनी
शुचि के पिता सुधीर उपाध्याय बताते हैं कि बेटी बचपन में गली मोहल्ले में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी। तब उसे देखकर लगा बेटी बड़ी होकर क्रिकेटर ही बनना चाहती है।
पिता ने बेटी के सपने को साकार करने के लिए क्रिकेट में आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। जब उसे क्रिकेट की ट्रेनिंग शुरू कराई, तो मंडला में कोई भी लड़की क्रिकेट नहीं खेलती थी। ऐसे में स्थानीय स्तर पर आयोजित होने वाले लड़कों की क्रिकेट प्रतियोगिता में ही आयोजकों और खिलाड़ियों से बात कर उसे टीम में शामिल करवाना शुरू किया।
शुचि ने भी यहां अच्छा प्रदर्शन किया और इसके बाद कम उम्र में ही उसे जिला स्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिलने लगा और उसके खेल में निखार भी आता गया।
फिरकी में माहिर
शुचि लेफ्ट आर्म स्पिन में माहिर हैं। उसे बैटिंग की बजाय बॉलिंग ज्यादा पसंद है। हालांकि शुचि अपने बल्ले से सामने वाले बल्लेबाज का साथ भी बखूबी निभा सकती है।
शुचि का कहना है कि सम्भागीय क्रिकेट प्रतियोगिता में चयन होना और बड़े शहरों की खिलाड़ियों के साथ खेलना उसके लिए अच्छा अनुभव था। पिछले साल वह बीसीसीआई की अंडर-23 महिला क्रिकेट टीम की सदस्य रह चुकी है।