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धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश करनेवाले हैं शनिदेव, कई राशियों को मिलेंगे बेहद सकारात्मक परिणाम

shani

वैदिक ज्योतिष में शनि देव के गोचर को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। उनके नक्षत्र परिवर्तन से भी सभी राशियों पर पड़ने प्रभावों में बदलाव होता है। 15 अक्टूबर को शनिदेव, राहु के नक्षत्र शतभिषा के निकलकर धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसका कई राशियों पर विशेष प्रभाव पड़ेगा। धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल है और शनि की मंगल के साथ शत्रुता मानी जाती है। इसलिए शनि के इस गोचर का कई राशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आइये पहले जानते हैं धनिष्ठा नक्षत्र क्या है और इसकी क्या खासियत है।

धनिष्ठा नक्षत्र

27 नक्षत्रों में से 23वां नक्षत्र है धनिष्ठा। इसका अर्थ होता है ‘सबसे धनवान’। इस नक्षत्र के स्वामी मंगल और देवता वसु हैं, लेकिन राशि स्वामी शनि हैं। यदि आपका जन्म धनिष्ठा नक्षत्र में हुआ है तो आपकी राशि मकर या कुंभ होगी। धनिष्ठा में जन्मे जातक पर जीवनभर मंगल और शनि का प्रभाव रहता है। इस नक्षत्र में मंगल ग्रह की ऊर्जा अपने चरमोत्कर्ष पर रहती है। इसलिए इसे उच्च का मंगल भी कहा जाता है। ऐसे में अगर मंगल शुभ हो, तो बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं, वहीं अगर जातक का मंगल खराब है तो जीवन में कई तरह की परेशानियां आती हैं।

सकारात्मक परिणाम

शनि के नक्षत्र परिवर्तन से मेष और वृश्चिक यानी मंगल के स्वामित्व वाली राशियों को लाभ होगा। वहीं शनि की राशियों मकर और कुंभ के जातकों के लिए ये समय शुभ रहनेवाला है। इसी के साथ ही मिथुन और सिंह राशि के लिए भी समय अच्छा रहेगा, लेकिन शर्त यह है इन राशियों के लोगों की कुंडली में मंगल शुभ हो। इस दौरान उनमें जोश और उत्साह दिखेगा और वे साहसिक फैसले ले सकते हैं। सेना, पुलिस, आईबी, खेल-कूद आदि से जुड़े लोगों को विशेष लाभ हो सकता है।

नकारात्मक परिणाम

वृष, कर्क, कन्या, धनु, मीन आदि राशियों के जातकों के लिए ये समय परेशानी भरा रह सकता है। मंगल और शनि का प्रभाव आपको गलत कार्यों की ओर प्रेरित करेगा। पत्नी से विवाद हो सकता है और परिवार में कुछ रिश्ते टूट सकते हैं। लड़ाई-झगड़े और कोर्ट-कचहरी के मामले बन सकते हैं और इस तरह की परेशानियां बढ़ सकती है। इस अवधि में किसी भी तरह का गलत काम ना करें, अन्यथा शनि के प्रकोप का भी सामना करना पड़ सकता है।

क्या करें उपाय?

शनि के गोचर के दौरान हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा, सुंदरकांड आदि का पाठ करें। शनिवार के दिन शमी के वृक्ष में जल अर्पण करना चाहिए। साथ ही शनि मंदिर में छाया दान करें। इस अवधि में झूठ, बेईमानी, छल, साजिश आदि से दूर रहें। कर्मफल दाता शनि इस अवधि में बहुत सक्रिय होंगे और गलत काम की फौरन सजा देंगे। मंगलवार के दिन गुड़, रेवड़ी, मिश्री और मसूर की दाल आदि का दान करें। साथ ही गुस्से, वाद-विवाद, लड़ाई-झगड़े आदि से दूर रहें।

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