प्रकट से ज्यादा प्रबल होती हैं गुप्त नवरात्रि : अरविन्द तिवारी
(माघी गुप्त नवरात्रि विशेष)
रायपुर : हिन्दू धर्म में माघ महीने का विशेष महत्व है। इस महीने पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि को भी बहुत ही खास माना जाता है। इस नवरात्रि में व्यक्ति ध्यान-साधना करके दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करते है। माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि खासतौर से तंत्र-मंत्र और सिद्धि-साधना आदि के लिये बहुत ही खास माना जाता है। मां दुर्गा की पूजा , भक्ति और सिद्ध शक्तियों की प्राप्ति के लिये नवरात्रि सबसे उत्तम दिन होते हैं।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये अरविन्द तिवारी ने बताया कि पूरे वर्ष में चार नवरात्रि आती है जिसमें चैत्र और आश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमीं तक दो प्रकट नवरात्रि होते हैं , इसी तरह माघ और आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमीं तक दो गुप्त नवरात्रि होती है। गुप्त नवरात्रि भी प्रकट नवरात्रि की तरह ही सिद्धिदायक होती है , बल्कि ये प्रकट नवरात्रि से भी ज्यादा प्रबल होती है। गुप्त नवरात्रि को तंत्र-मंत्र साधना के लिये विशेष तौर पर जानी जाती है।
कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली पूजा से कई कष्टों से मुक्ति मिलती है। ये नवरात्रि भी प्रकट नवरात्रियों की तरह नौ दिन ही मनायी जाती हैं। गुप्त नवरात्रियों में मां भगवती की पूजा की जाती है। इस गुप्त नवरात्रियों का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रियों से ज्यादा होता है , क्योंकि गुप्त नवरात्रियों में मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं। गुप्त नवरात्र को खासतौर से तंत्र-मंत्र और सिद्धि-साधना आदि के लिये बहुत ही खास माना जाता है। इस दौरान व्यक्ति ध्यान-साधना करके दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करते है। इस नवरात्रि को करने में साधक को पूर्ण संयम और शुद्धता के साथ मां भगवती की आराधना करनी चाहिये।
गुप्त नवरात्रि की पूजा के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों के साथ-साथ दस महाविद्यियाओं की भी पूजा का विशेष महत्व है। ये दस महाविद्यायें मां काली , तारा देवी , त्रिपुर सुंदरी , भुवनेश्वरी , छिन्नमस्ता , त्रिपुर भैरवी , मां धूमावती , मां बगुलामुखी , मातंगी और कमला देवी हैं। इस दौरान मां की आराधना गुप्त रुप से की जाती है, इसलिये भी इन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। यह नवरात्र भी चैत्र और शारदीय नवरात्रियों की तरह मनाये जाते है। गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से साधुओं , तांत्रिकों द्वारा मां को प्रसन्न करने और तंत्र साधना की सिद्धि के लिये किया जाता है।
मान्यतानुसार इस नवरात्रि की पूजा को गुप्त रखने से दोगुना फल मिलता है। गुप्त नवरात्रि का महत्व , प्रभाव और पूजा विधि बातने वाले ऋषियों में श्रृंगी ऋषि का नाम सबसे पहले लिया जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार एक महिला श्रृंगी ऋषि के पास पहुंचकर उनसे कहा कि मेरे पति दुर्व्यसनों से घिरे हुये हैं और इस कारण कोई धार्मिक कार्य , व्रत या अनुष्ठान नहीं कर पा रही हूं। ऐसे में क्या करूं कि मां शक्ति की कृपा मुझे प्राप्त हो और मुझे मेरे कष्टों से मुक्ति मिले। तब ऋषि ने महिला के कष्टों से मुक्ति पाने के लिये गुप्त नवरात्र में साधना करने के लिये कहा था।
ऋषिवर ने गुप्त नवरात्र में साधना की विधि बताते हुये कहा कि इससे तुम्हारा सन्मार्ग की तरफ बढ़ेगा और तुम्हारा पारिवारिक जीवन खुशियों से भर जायेगा। गुप्त नवरात्रों के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा नवरात्र के भिन्न-भिन्न दिन की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस पाठ को करने से मां दुर्गा प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनोवांछित वरदान देती हैं। नवरात्रि में घर में लहसून , प्याज जैसे तामसिक चीजों का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिये।
घट स्थापना आज
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत आज शनिवार 10 फरवरी 2024 से हो रही है. वहीं इसका समापन रविवार 18 फरवरी 2024 को होगा। इस नवरात्रि में माता के मंदिरों में यज्ञ , हवन सहित विभिन्न अनुष्ठान संपादित होंगे। गुप्त नवारात्र में सिद्धिकुंजि का स्तोत्र का पाठ करना बहुत लाभदायक होता है। इस दौरान देवी माँ के भक्त बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। वे लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्र में माता की शक्ति पूजा एवं अराधना अधिक कठिन होती है इस पूजन में अखंड ज्योत प्रज्वलित की जाती है।
सुबह एवं संध्या समय में देवी की पूजा अर्चना करना होती है। नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशति का पाठ किया जाता है। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत पूर्ण होता है। देवी पूजन में दुर्गा सप्तशती के पाठ का बहुत महत्व है। यथासंभव नवरात्र के नौ दिनों में प्रत्येक श्रद्धालु को दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिये किन्तु किसी कारणवश यह संभव नहीं हो तो देवी के नवार्ण मंत्र का जप यथाशक्ति अवश्य करना चाहिये। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन पूर्णाहुति हवन एवं कन्याभोज कराकर किया जाना चाहिये। पूर्णाहुति हवन दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से किये जाने का विधान है किन्तु यदि यह संभव ना हो तो देवी के नवार्ण मंत्र , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र अथवा दुर्गाअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र से हवन संपन्न करना श्रेयस्कर रहता है।
गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना , जादू-टोना , वशीकरण आदि चीजों के लिये विशेष महत्व रखता है। इन दिनों तक मां दुर्गा की कठिन भक्ति और तपस्या की जाती है। खासकर निशा पूजा की रात्रि में तंत्र सिद्धि की जाती है। भक्ति और सेवा से प्रसन्न होकर मां दुर्लभ और अतुल्य शक्ति का वरदान देने के साथ ही सभी मनोरथ सिद्ध करती है।
मां दुर्गा को प्रतिदिन लगने वाला भोग
प्रतिपदा को रोगमुक्त रहने के लिये प्रतिपदा तिथि के दिन मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी सफेद चीजों का भोग लगायें। द्वितीया तिथि को लंबी उम्र के लिये मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगायें। तृतीया तिथि को दुख से मुक्ति के लिये मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगायें। चतुर्थी तिथि को तेज बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिये मां कुष्मांडा को मालपुये का भोग लगायें। पंचमी तिथि को स्वस्थ शरीर के लिये मां स्कंदमाता को केले का भोग लगायें। षष्ठी तिथि को आकर्षक व्यक्तित्व और सुंदरता पाने के लिये मां कात्यायनी को शहद का भोग लगायें। सप्तमी तिथि को संकटों से बचने के लिये मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें। अष्टमी तिथि को संतान संबंधी समस्या से छुटकारा पाने के लिये मां महागौरी को नारियल का भोग लगायें। नवमी तिथि को सुख-समृद्धि के लिये मां सिद्धिदात्री को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगायें।