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सतना की वैष्णवी ने आत्मसुरक्षा के लिए अपनाया वूशु, अपने पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में जीता स्वर्ण

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नई दिल्ली : वैष्णवी त्रिपाठी ने पांच वर्ष पूर्व बड़ी बहन गीतांजलि को देखकर आत्मसुरक्षा के लिए मार्शल आट्र्स वूशु को अपनाया था, लेकिन जिस खेल को सतना की इस खिलाड़ी ने अपनी सुरक्षा के लिए चुना उसी में उन्होंने देश के लिए स्वर्ण जीता। वैष्णवी ने अपने पहले ही अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट मास्को स्टार वूशु के 48 भार वर्ग में सोना जीता। चीन समेत 12 देशों की मौजूदगी में भारत ने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में कुल 16 स्वर्ण पदक जीते। वैष्णवी ने सांडा वर्ग में स्वर्ण जीता।

सुधांशु त्रिवेदी की बधाई से आईं सुर्खियों में

वैष्णवी मंगलवार को अचानक उस वक्त सुर्खियों में आईं जब भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने सोशल मीडिया पर उनके बारे में लिखा कि, अब तक वैष्णवी को बधाइयों का तांता लग जाना था, लेकिन सन्नाटा पसरा हुआ है, अरे भाई देश की बेटी ने स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने अंत में लिखा आपकी मर्जी बिटिया को बधाई दो या ना दो हम तो देंगे। वैष्णवी मास्को से अमर उजाला को बताती हैं कि उन्होंने भी सुधांशु सर की बधाई के बारे में सुना है, उनके लिए यह बड़ी बात हैै। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी उन्हें सोशल मीडिया पर बधाई दी।

बड़ी बहन बनीं प्रेरणा

वैष्णवी की बड़ी बहन गीतांजलि भी वूशु खिलाड़ी और देश के लिए 2022 में जॉर्जिया अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में स्वर्ण जीत चुकी हैं। वैष्णवी के मुताबिक वही उनकी प्रेरणा हैं। उन्होंने और उनकी बहन ने पास में ही इस खेल का अभ्यास करते बच्चों को देखा तो उन्हें लगा कि लड़कियों की सुरक्षा के लिए यह खेल बेहद अच्छा है। दोनों ने इसे अपनाया। गीतांजलि ने जल्द ही राष्ट्रीय टीम में जगह बना ली। वैष्णवी बताती हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय टीम में पदार्पण करते हुए स्वर्ण जीता है।

फाइनल में रूसी खिलाड़ी को हराया

21 वर्षीय वैष्णवी बताती हैं कि वे पांच भाई-बहन हैं और उनके पिता पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं। वैष्णवी 2019 की जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में विजेता बनीं। मास्को स्टार वूशु टूर्नामेंट के फाइनल में उन्होंने रूसी खिलाड़ी को हराया। वैष्णवी कहती हैं कि वह 2026 के एशियाई खेलों में देश के लिए स्वर्णिम प्रदर्शन करना चाहती हैं।

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