अमेरिका को परमाणु हथियारों की जानकारी नहीं देगा रूस, यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का बड़ा फैसला
मॉस्को: रूस के एक वरिष्ठ राजनयिक ने बुधवार को कहा कि मॉस्को ने अपने परमाणु बलों के बारे में अमेरिका से सूचना साझा करना बंद कर दिया है जिसमें मिसाइल परीक्षणों से जुड़ी सूचनाएं भी शामिल हैं। रूसी समाचार एजेंसियों के मुताबिक, रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि मॉस्को ने वाशिंगटन के साथ सभी सूचनाओं के आदान-प्रदान को रोक दिया है। रूस ने यह फैसला राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश के बाद किया है। पिछले महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नई ‘स्टार्ट’ संधि को निलंबित कर दिया था।
अपने ही दावे से पीछे हटा रूस
पुतिन ने कहा था कि रूस को समझौते के तहत अपने परमाणु स्थलों की अमेरिकी निगरानी ऐसे समय में स्वीकार्य नहीं है जब वाशिंगटन और उसके नाटो सहयोगियों ने खुले तौर पर यूक्रेन में रूस की हार को अपना लक्ष्य घोषित किया है। मॉस्को ने इस बात पर जोर दिया कि वह पूरी तरह से समझौते से पीछे नहीं हट रहा है और परमाणु हथियारों की सीमा का सम्मान करना जारी रखेगा। रूसी विदेश मंत्रालय ने शुरू में कहा था कि मॉस्को अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों के नियोजित परीक्षणों के बारे में अमेरिका को सूचित करता रहेगा। रूसी सेना ने अपने रणनीतिक मिसाइल बलों का बुधवार को अभ्यास किया और इसके तहत साइबेरिया में मोबाइल लॉन्चर तैनात किए गए।
रूस ने क्यों किया सूचना नहीं देने का फैसला
ऐसा लगता है कि मिसाइल परीक्षण से संबंधित चेतावनी जारी करने पर रोक मॉस्को की ओर से यूक्रेन को पश्चिमी देशों से मिल रहे समर्थन को हतोत्साहित करने का एक प्रयास है। यह कदम रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उस घोषणा के कुछ दिनों बाद उठाया गया है जिसमें उन्होंने मॉस्को के सहयोगी देश बेलारूस में परमाणु हथियारों को तैनात करने की बात कही थी। व्हाइट हाउस, पेंटागन और विदेश विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पुतिन द्वारा संधि में अपनी भागीदारी को निलंबित करने के बाद भी अमेरिका ने रूस को यह जानकारी प्रदान करना जारी रखने की पेशकश की थी, लेकिन मॉस्को ने वाशिंगटन को सूचित किया कि वह अपना डेटा साझा नहीं करेगा।
कब हुई थी न्यू स्टार्ट संधि
नई स्टार्ट संधि पर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने वर्ष 2010 में हस्ताक्षर किए थे। कोविड-19 के कारण निरीक्षण का काम वर्ष 2020 में रोक दिया गया था, लेकिन इसे नवंबर 2022 में बहाल किया जाना था। लेकिन यूक्रेन के प्रति अमेरिकी समर्थन का हवाला देकर रूस अचानक इससे पीछे हट गया।