Russia–Ukraine War: रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध में भारतीय युवाओं को नौकरी देने के बहाने जंग में भेजे जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. दिल्ली (Delhi) में बैठे एजेंट युवाओं को रूस पहुंचा रहे है. वहां उन्हें 15 दिन की ट्रेनिंग देकर लड़ाई में उतार दिया जाता है. इस बात का खुलाशा युद्ध से बचकर निकले उत्तर प्रदेश आजमगढ़ (Azamgarh) के युवक ने की है. युवक हाल ही में विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप से भारत लौटा है.
दिल्ली में एजेंटों के जरिए भारत के युवाओं को सुरक्षा गार्ड की नौकरी दिलाने के बहाने रूस भेजा जा रहा है. वहां 15 दिन की ट्रेनिंग देकर युवाओं को जंग के मैदान में उतार दिया जा रहा है. जंग से भारतीय विदेश मंत्रालय की मदद से भारत लौटे आजमगढ़ के युवक राकेश यादव ने यह इस बात का खुलासा किया है. राकेश ने यह भी दावा किया है कि उसके ही जैसे हजारों भारतीय युवक अभी भी रूस की ओर से जंग में डटे हुए हैं. इस युद्ध में बड़ी संख्या में लोगों की मौत होने की जानकारी भी युवक ने दी है.
युवक राकेश यादव के दावे के अनुसार भारत की तमाम प्लेसमेंट एजेंसियां रूसी सेना के संपर्क में है. ये प्लेसमेंट एजेंसियां भारत में बेरोजगार युवकों की तलाश कर उन्हें झांसा देकर रूस के एयरपोर्ट, मेट्रो स्टेशन और रेलवे स्टेशन में सुरक्षा गार्ड की नौकरी दिलाने के नाम पर रूस भेजा करती है. इसके एवज में रूस से एजेंटो को सात से आठ लाख रुपये दिए जाते हैं. इसके बाद रूस में भारतीय युवाओं को 15 दिन की ट्रेनिंग देकर यूक्रेन बॉर्डर लड़ने भेजा जाता है.
युद्ध के दौरान ड्रोन से हुआ हमला
रूस से लौटे युवक के मुताबिक इस दौरान रूस सेना से जो भी पैसा मिलता है, वह भारतीय युवाओं के खाते में आता है, जिसे एजेंट हड़प लेते हैं. उसने बताया कि पिछले दिनों रूस यूक्रेन बॉर्डर पर तैनाती के दौरान उसके ऊपर ड्रोन से हमला हुआ था. इसमें वह बुरी तरह से जख्मी हो गया तो रूस की सेना ने अस्पताल में भर्ती कराया था. तीन महीने तक वह अस्पताल में रहा. इस दौरान रूस की सेना ने मदद के रूप में उसे 30 लाख रुपये दिए थे.
एजेंटो ने हड़प ली मदद राशि
युवक के सभी दस्तावेज और बैंक का एटीएम एजेंटों के पास था, इसलिए उन लोगों ने रूसी सेना द्वारा दी मदद राशि 30 लाख रुपये भी हड़प लिए. युवक के परिवार वालों ने जानकारी मिलने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, देश के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्रालय से गुहार लगाई थी. पंजाब से सांसद ने इस मामले में हस्तक्षेप किया जिसके बाद कुछ युवको की वतन वापसी हो पाई है. हालांकि यह भी जानकारी है कि अभी भी रूस की सेना में हजारों की संख्या में भारतीय युवा शामिल है जो जंग लड़ने के लिए मजबूर हैं.
एग्रीमेंट कर युवको को ले रहे झांसे में
रूस से अपने घर आजमगढ पहुंचे राकेश यादव ने बताया कि उसे भी एजेंटो ने रूस के एयरपोर्ट पर गार्ड की नौकरी का झांसा दिया था. इसके बाद दिल्ली के एजेंटों ने उसे रूस भेज दिया. वहां उससे एक एग्रीमेंट साइन कराया गया. इसमें लिखा गया था कि 15 दिन की ट्रेनिंग के बाद तैनाती होगी. रूसी सेना ने उसे ट्रेनिंग तो दी, लेकिन एयरपोर्ट पर तैनाती के बदले उसे रूस यूक्रेन बॉर्डर पर जंग में भेज दिया . वहां पहुंचने पर युवक को पता चला कि यहां वह अकेला भारतीय नहीं है, बल्कि उसके जैसे हजारों भारतीय बेरोजगार रूसी सैनिक बनकर युद्ध लड़ रहे हैं.
लाख में हो रहा सौदा
राकेश ने बताया कि भारत से रूस जाने वाले हरेक व्यक्ति के बैंक के खाते में 7 से आठ लाख रूपये मिलते हैं. लेकिन सभी दस्तावेज और बैंक एटीएम एजेंट रखे होते है. इसलिए खाते में पैसा आते ही वह इसे हड़प जाते हैं. यही नहीं, जो लोग वहां युद्ध में घायल होते हैं या मारे जाते हैं, तो उन्हें भी रूसी सेना पैसे देती है. यह पैसा भी दिल्ली में बैठे एजेंट हड़प लिया करते है. राकेश के पास इस सौदे बाजी से संबंधित सभी दस्तावेज मौजूद हैं. उसने भारत सरकार से देश के युवाओं को बचाने का आग्रह भी किया है.