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RSS के पास न गुरु, न ग्रंथ और न ही नेता, कैसे करेंगे राज? शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने उठाया सवाल

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में बुधवार को एक विशाल धर्मसभा का आयोजन किया गया. इस धर्मसभा की अगुवाई शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने की. धर्मसभा में साधु-संतों के साथ-साथ राजनीतिक दलों के नेता और जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए. धर्मसभा के बाद मीडिया से बात करते हुए स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) पर निशाना साधा।

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि मेरा मानना है कि आरएसएस के पास कोई ग्रंथ नहीं है. इससे ज्यादा चिंता की बात और क्या हो सकती है? निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि मुझे याद है कि आज से करीब 62 साल पहले जब मैं विद्यार्थी जीवन में था तो आरएसएस के जितने बड़े नेता हैं, वह उनके घर पर आया करते थे. इन सभी का एक ही उद्देश्य रहता था मेरे बड़े भाई से मुलाकात करना. किसी तरह एक मुलाकात बड़े भाई से हो जाए.

मैं किसी भी संगठन का विरोधी नहीं- स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि समाजिक कार्यों में लगे कई संगठन देश में हैं. सभी का अपना-अपना उद्देश्य है. मैं किसी संगठन का विरोधी नहीं है. लोग मुझे कहेंगे कि मैं आरएसएस का विरोधी हूं, लेकिन ऐसा नहीं है. हां एक बात जरूर है कि इनके पास परंपरागत प्राप्त कोई ग्रंथ नहीं है. आप देख सकते हैं कि किसी के पास बाइबिल है तो किसी के पास कुरान है. यही नहीं किसी के पास गुरु ग्रंथ है, लेकिन मुझे आरएसएस के सरसंघचालक और नेता बता कें कि उनके पास ऐसा कुछ है क्या?

RSS के पास न गुरु न ग्रंथ, कैसे करेंगे राज?
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि अब इसको देखकर तो यही लगता है कि सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति इन्हीं की है. जब कभी देश पर राज करने की बात आएगी तो इनको यह नहीं पता रहेगा कि राज कैसे करें? क्योंकि इनके पास कोई ग्रंथ नहीं है. आरएसएस के लोग इधर-उधर भटकते रहते हैं. अगर गुरु हों, ग्रंथ हो तो या फिर कोई नेता हो तो ये लोग भी न भटकें. इनके न होने की वजह से ही ये लोग भटकते रहते हैं. सभी जगहों पर घूम फिर कर फिर वापस यहीं आ जाते हैं.

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