रायपुर : प्रदेश में ईडी चर्चा का विषय बना हुआ है। खास बात ये है कि प्रदेश में अभी 2 हजार करोड़ के शराब घोटाला मामले में ईडी लगातार कार्रवाई कर रही है। कारोबारी अनवर ढेबर समेत त्रिलोक सिंह ढिल्लन उर्फ पप्पू ढिल्लन, नितेश पुरोहित और आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरूणपति त्रिपाठी क ईडी 4 दिन की रिमांड पर और रखेगी। ईडी ने कोर्ट में 10 दिन रिमांड मांगी थी, जिस पर कोर्ट ने उन्हें 4 दिन रिमांड की अनुमति दी है। अब कारोबारी 19 मई तक रिमांड पर रहेंगे।
कारोबारी अनवर ढेबर का कल 16 मई को सु्प्रीम कोर्ट दिल्ली में मामले में सुनवाई होगी। इसके बाद भी उन्हें राहत मिलेगी या नहीं इसे लेकर ईडी बेसब्री से इंतजार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक एक IAS, उनके बेटे और दो होटल व्यवसाई लंबे समय से पूछताछ की। उसके बाद उन्हें घर जाने दे दिया गया। वहीं उन्हें आदेश दिया है कि ईडी के बुलाने से उन्हें मौजूद होना पड़ेगा।
कथित 21 करोड़ से अधिक की जमीन मिली
ED ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि रायपुर नगर निगम के मेयर एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर के कथित 21 करोड़ से अधिक की जमीन मिली है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर, भिलाई और मुंबई में जांच पड़ताल के दौरान नवा रायपुर में 53 एकड़ भूमि अनवर ढेबर के नाम से होना पाया है, जिसकी कुल कीमत 21 करोड़ 60 लाख आंकी जा रही है। अनवर को इस कथित सिंडीकेट का सरगना बताया गया है।
अनवर के नेतृत्व में प्रदेश में एक सिंडीकेट काम कर रहा था। इसमें शराब कारोबारी, नेता और उच्च प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। प्रदेश में बिकने वाली शराब की हर बोतल से इनको अवैध रूप से रुपए मिलते थे। अनवर अवैध शराब से मिलने वाली राशि के लिए जिम्मेदार है। एक प्रतिशत कटौती करने बाद शेष राशि अपने राजनीतिक आकाओं को देता था। साल 2019 से 2022 तक राज्य में कुल बिक्री की करीब 30 से 40 प्रतिशत शराब अवैध रूप से बेची गई। इससे लगभग 1500 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया गया। बता दें कि मार्च में ईडी ने शराब घोटाले को लेकर प्रदेश के कई शहरों में छापेमारी की थी।
सिंडिकेट ने अपना हिस्सा रखने के बाद चुनाव प्रचार में दिया
ईडी ने दावा किया है कि, टुटेजा मामलों का प्रबंधन कर रहा था और अनवर के साथ इस अवैध सिंडिकेट का सरगना था। आबकारी विभाग में भारी मात्रा में भ्रष्टाचार हो रहा था और हर जगह से सैकड़ों करोड़ की नगदी एकत्र की जा रही थी। सिंडिकेट ने अपना हिस्सा रखने के बाद राजनीतिक अधिकारियों और चुनाव प्रचार के लिए दिया। अनवर इस सिंडिकेट का मुख्य कलेक्शन एजेंट और फ्रंट मैन था। अनवर ने टुटेजा को 14.41 करोड़ रुपये की डिलीवरी दी, इसके डिजिटल साक्ष्य हैं।
तीन अवैध तरीकों से एकत्र की गई शराब से रकम
एजेंसी की ओर से आवेदन में कहा गया है कि, सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री से तीन अलग-अलग तरीकों से अवैध धन एकत्र किया। इनमें राज्य में इसकी बिक्री के लिए शराब आपूर्तिकर्ताओं से वसूला गया अवैध कमीशन, राज्य की ओर से संचालित दुकानों से ऑफ-द-रिकॉर्ड बेहिसाब देशी शराब की बिक्री और राज्य में डिस्टिलरों को संचालित करने की अनुमति देने के लिए भुगतान किया गया वार्षिक कमीशन शामिल है। राज्य में आबाकरी नीति 2017 को संशाधित किया गया।
अनवर के कहने पर CSMCL का प्रबंध निदेशक बना
ईडी ने कहा कि, इस प्रकार छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (CSMCL) को अपने स्टोरों के माध्यम से राज्य में शराब की खुदरा बिक्री की जिम्मेदारी दी गई। मई 2019 में, अनवर के कहने पर अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का प्रबंध निदेशक बनाया गया था। इसके बाद त्रिपाठी को CSMCL की ओर से खरीदी गई शराब पर वसूले जाने वाले रिश्वत कमीशन को अधिकतम करने और निगम की संचालित दुकानों में गैर-शुल्क भुगतान वाली शराब की बिक्री के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का काम सौंपा गया। इस अभियान में त्रिपाठी को अनवर और वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों का समर्थन प्राप्त था।
देशी शराब की बिक्री पर तय किया गया कमीशन
एजेंसी की जांच से पता चला है कि, देशी शराब की बिक्री पर कमीशन की मात्रा तय करने के लिए अनवर ने 2019 में एक बैठक बुलाई थी, जिसमें डिस्टिलर्स को CSMCL की ओर से इसकी खरीद के खिलाफ 75 रुपये प्रति केस कमीशन देने की मांग की गई थी। बदले में, अनवर ने उनकी ‘लैंडिंग दरों’ को आनुपातिक रूप से बढ़ाने का वादा किया। यह व्यवस्था मान ली गई और शराब की पेटियों की बिक्री पर सिंडिकेट भारी मात्रा में कमीशन वसूलने लगा। एकत्रित राशि का अधिकांश हिस्सा अनवर को दे दिया गया और उसने इसका अधिकांश हिस्सा एक राजनीतिक दल के साथ साझा किया।
अवैध शराब बेचने डुप्लीकेट होलोग्राम और बोतलों का इस्तेमाल हुआ
ईडी ने दावा किया कि बेहिसाब अवैध शराब बनाने और बेचने की और भी कुटिल योजना बनाई गई। सरकारी दुकानों से बेहिसाब शराब की बिक्री की जा रही थी। डुप्लीकेट होलोग्राम और बोतलों का इस्तेमाल किया गया। राज्य के गोदामों को दरकिनार कर शराब सीधे डिस्टिलर से दुकानों तक पहुंचाई जाती थी। आबकारी अधिकारी इसमें शामिल थे। पूरी बिक्री नकद में की गई। कोई आयकर और कोई उत्पाद शुल्क आदि का भुगतान नहीं किया गया था। पूरी बिक्री किताबों से दूर थी।
कुल बिक्री में 30 से 40 फीसदी अवैध शराब
ईडी ने कहा कि, डिस्टिलर, ट्रांसपोर्टर, होलोग्राम निर्माता, बोतल निर्माता, आबकारी अधिकारी, आबकारी विभाग के उच्च अधिकारी, अनवर ढेबर, वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों और राजनेताओं सहित प्रत्येक व्यक्ति को अपना हिस्सा प्राप्त करने के साथ पूरे बिक्री के विचार को हटा दिया गया था। दावा किया कि जांच से पता चला है कि 2019 से 2022 तक, इस तरह की अवैध बिक्री राज्य में शराब की कुल बिक्री का करीब 30-40 प्रतिशत था।
2019 के बाद आबाकरी विभाग में बड़ा भ्रष्टाचार
एजेंसी ने आरोप लगाया है कि, डिस्टिलर्स और स्थानीय आबकारी अधिकारियों को भुगतान करने के बाद अनवर ने अधिकतम शेष राशि ले ली और अपने और टुटेजा के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत हिस्से को काट लिया। शेष राशि राज्य के सर्वोच्च राजनीतिक अधिकारियों के निर्देशानुसार राजनेताओं को दी गई थी। यह स्पष्ट है कि 2019 के बाद से छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। जांच में पाया गया है कि इस सिंडिकेट ने दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार किया।
भ्रष्टाचार की रकम को यूएई में निवेश किया गया
ईडी ने कहा कि, अनवर इस मामले में भ्रष्टाचार से मिली रकम का अंतिम फायदा उठाने वाला नहीं है। वह प्राइवेट व्यक्ति है, जो सरकार में किसी पद पर नहीं है, लेकिन रायपुर मेयर और सत्ताधारी पार्टी के साथ अपनी निकटता का इस्तेमाल कर रहा है। ईडी ने दावा किया कि अनवर ने अपने सहयोगी विकास अग्रवाल को दुबई में रखा है और अवैध रूप से अर्जित आय को संयुक्त अरब अमीरात में निवेश किया गया है ताकि उसे अलग किया जा सके। वहीं अनवर के वकील राहुल त्यागी ने शनिवार को दावा किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कार्रवाई राजनीति से प्रेरित लगती है।
मनी लॉन्ड्रिंग केस में दर्ज किया है मामला
दिल्ली की एक कोर्ट में आयकर विभाग की ओर से दायर अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत जांच के लिए पिछले साल टुटेजा और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। ईडी ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में एक आपराधिक सिंडिकेट काम कर रहा था, जो प्रमुख राज्य विभागों, विशेष रूप से आबकारी विभाग और राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के उच्च-स्तरीय प्रबंधन को नियंत्रित करके अवैध वसूली कर रहा था।