रिमांड खत्म- लोकायुक्त के हाथ खाली: कोर्ट ने सौरभ शर्मा, चेतन और शरद को भेजा जेल; 17 फरवरी को पेशी
भोपाल : मध्य प्रदेश परिवहन विभाग (RTO) का पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा, उसके साथी चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल की पुलिस रिमांड पूरी हो गई है। 7 दिन की रिमांड के बाद भी लोकायुक्त के हाथ कोई ठोस जानकारी नहीं लगी। मंगलवार (4 फरवरी) को सौरभ शर्मा, चेतन गौर और शरद जायसवाल को लोकायुक्त ने कोर्ट में पेश किया। लोकायुक्त ने अदालत में तीनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने सौरभ, चेतन और शरद को 17 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेजा है।
मेडिकल चेकअप के बाद किया पेश
लोकायुक्त पुलिस ने 28 जनवरी को सौरभ और चेतन को कोर्ट में पेश कर छह दिन की रिमांड पर लिया था। 29 जनवरी को शरद को पांच दिन की रिमांड दी गई थी। रिमांड पूरी होने के बाद मंगलवार को सुबह तीनों आरोपियों का हमीदिया हॉस्पिटल में मेडिकल चेकअप कराया। इसके बाद दो गाड़ियों से पुलिस तीनों को लेकर कोर्ट पहुंची। पुलिस ने जस्टिस आरपी मिश्रा के सामने तीनों को पेश किया।
17 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में
कोर्ट में ईडी और आयकर विभाग के अधिकारी मौजूद रहे। लोकायुक्त के अधिकारियों ने तीनों को न्यायिक हिरासत में भेजने की बात कही। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सौरभ शर्मा, उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल को 17 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेजा है। लोकायुक्त की टीम इन्हें लेकर कोर्ट से रवाना हो गई है।
सौरभ के नाम से एक भी प्रॉपर्टी नहीं
लोकायुक्त ने 250 से ज्यादा प्रॉपर्टी पेपर खंगाले लेकिन एक भी प्रॉपर्टी सौरभ के नाम नहीं है। पूरी प्रॉपर्टी अपने घर, दोस्त और करीबियों के नाम पर ली है। अन्य प्रदेशों में फैला सौरभ का कारोबार भी अन्य लोगों के नाम पर चल रहा है। 52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश मामले में तीनों ने कोई राज नहीं उगला।तीनों से 40 से ज्यादा बेशकीमती प्रॉपर्टी के बारे में पूछताछ की। 20 से ज्याद प्रॉपर्टी चेतन गौर के नाम निकली है।
कार में मिला सोना और कैश झाड़ा पल्ला
सौरभ ने कहा कि प्रॉपर्टी उसकी नहीं है। चेतन कहता रहा कि उसकी औकात इतनी संपत्ति खरीदने की नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, शरद जायसवाल की भी 100 करोड़ की संदिग्ध संपत्तियों के दस्तावेजों को लेकर लोकायुक्त की टीम पूछताछ करती रही। यहां तक की दस्तावेज के पेपर दिखाकर भी पूछताछ की गई। लेकिन शरद भी सौरभ शर्मा को ही इस कंपनी का मुख्य सूत्रधार बताता रहा है। बता दें 52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश मामले में तीनों ने अभी तक कोई राज नहीं उगला है। तीनों ही इस गाड़ी से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
सौरभ ने भोपाल में खपाई सबसे ज्यादा काली कमाई
लोकायुक्त टीम ने जब्त किए गए दस्तावेज की जांच तो बड़ा खुलासा हुआ। पता चला कि सौरभ ने सबसे ज्यादा काली कमाई भोपाल में ही खपाई है। यहां उसने चेतन, पत्नी दिव्या और करीबी रिश्तेदारों के नाम पर करोड़ों की प्रॉपर्टी ले रखी है। जिसमें स्कूल, पेट्रोल पंप, आलीशान बंगला, प्राइम लोकेशन में प्लॉट, लग्जरी गाड़ियां सहित अन्य चल- अचल संपत्तियां शामिल है। लेकिन सौरभ अब इन संपत्तियों से अपने हाथ खींच रहा है। ग्वालियर की प्रॉपर्टी को अपना पुस्तैनी बता रहा है।