सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार आदि शक्ति की दस महाविद्या से आठवीं माता बगलामुखी हैं। पीला रंग अतिप्रिय होने की वजह से मां को पीतांबरा भी कहा जाता है। बगलामुखी मां की साधना शुत्रओं पर विजय प्राप्ति, भय मुक्ति, वाद-विवाद में विजय और वाक सिद्धि के लिए किया जाता है। तांत्रिक क्रियाओं के लिए भी मां पीतांबरा की साधना होती है। मां की कृपा से भक्त सभी प्रकार की बाधाओं से दूर होता है। जीवन में खुशहाली बनी रहती है। आइये जानते हैं मां बगलामुखी देवी की पूजा विधि और ऐसे शक्तिशाली मंत्र जो आपको शत्रु को भी मित्र बना देंगे।
मां बगलामुखी के बारे में कहा जाता है कि इनकी पूजा से भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। मां चाहे तो शत्रु की जिह्वा ले सकती हैं। भक्तों को वाणी की दिव्यता दे सकती हैं। मां के मंत्र का प्रभाव इतना होता है कि शत्रु पराजित होने के साथ ही मित्र बना जाता है। मां वचन और बोलचाल की गलतियों और अशुद्धियों को निकालकर सही करती हैं। महाभारत काल से पूर्व नलखेड़ा नामक स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन ने माता बगलामुखी की पूजा की थी।
बगलामुखी की पूजा विधि
- सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें और पूजा शुरू करें।
- पूजा में मुंह पूर्व दिशा में रखें, कोशिश करें लोग ज्यादा से ज्यादा पीले रंग का इस्तेमाल करें।
- मां का आसन पीला रखें, पीला वस्त्र पहनाएं, पीले फल चढ़ाएं और पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
- पूजा के बाद यथाशक्ति दान करें।
- जो लोग व्रत रख रहे हैं, वो रात में फलाहार करें।
- व्रत के दूसरे दिन स्नान कर पूजा के बाद आप भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
मां बगलामुखी के शक्तिशाली मंत्र
- ऊँ ह्रीं बगलामुखी देव्यै ह्रीं ऊँ नमः
- ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशाय ह्रीं ऊं स्वाहा
नोट:- बगलामुखी मां की पूजा के मंत्र को नियम अनुसार जपना चाहिए, इसके लिए बगलामुखी मां की पूजा के जानकार से सलाह लेकर ही इन मंत्रों का जाप करें।
कहां हैं मां के प्रमुख मंदिर
भारत में मां बगलामुखी के तीन प्रमुख मंदिर बताए जाते हैं। इन तीनों जगहों पर शैव और शाक्त साधु संत अनुष्ठान और तंत्र साधना के लिए आते रहते हैं।
1.दतिया (मध्य प्रदेश)
- कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
3.नलखेड़ा (शाजापुर, मध्य प्रदेश)