CG : दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने आई सगी बहनों में निकला अनुवांशिक दुर्लभ बीमारी, उचित जांच के बाद होगा बेहतर ईलाज

रायपुर। दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए जिला अस्पताल पहुंची सगी बहनों की जांच के दौरान अनुवांशिक दुर्लभ बीमारी का पता चला। बच्ची का सर्टिफिकेट बनाने के साथ ही उनके बहरेपन का आवश्यक इलाज भी किया जाएगा। वॉर्डन बर्ग सिंड्रोम नामक बीमारी से पीड़ित होने की वजह से उन्हें सुनाई नहीं देने के साथ सफेद चमड़ी और नीली आंखें होने की समस्या थी।

जानकारी के अनुसार,  12 एवं 14 साल की दोनों सगी बहनें कुछ दिन पहले अपनी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने जिला अस्पताल पंडरी आई थीं। वहां के ईएनटी विभाग की चिकित्सक डॉ. नसरीन बेगम ने दोनों की जांच की। इस दौरान उनका ध्यान एक बच्ची की नीली आंखें और दूसरी के शरीर पर सफेद दाग पर गया। लक्षण और परिजनों से जानकारी के आधार पर उन्हें किसी तरह की बड़ी बीमारी का संदेह हुआ। जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि दोनों वॉर्डन बर्ग सिंड्रोम नामक बीमारी से पीड़ित हैं।

डॉ. नसरीन ने बताया कि यह बीमारी दुर्लभ होती है और 42 हजार में किसी एक में पाई जाती है। इसी बीमारी के कारण बहनों की श्रवण शक्ति बचपन से कमजोर थी। इसके अलावा एक बच्ची की आंख नीली हो गई थी और दूसरी के शरीर में सफेद दाग हो गया। दोनों को बहरेपन का प्रमाणपत्र दिया जाएगा, मगर इसके साथ ही उनकी समस्या के समाधान के लिए हियरिंग एड मशीन देने अथवा कॉकलियर इंप्लांट के माध्यम से इलाज की तैयारी की जा रही है।

खाना नहीं निगल पा रहे थे निकला कैंसर

इसी तरह दो साल से ठीक से खाना नहीं निगल पाने की समस्या लेकर इलाज के लिए जिला अस्पातल पहुंचे मरीज की जांच की गई तो वह कैंसर का मरीज निकला। सीटी स्कैन के माध्यम से उसकी बीमारी का पता चल पाया। 52 साल के मरीज को इलाज के लिए आंबेडकर अस्पताल रेफर किया गया है।

सही समय पर पहचान जरूरी

जिला अस्पताल  के सिविल सर्जन डॉ. एसके भंडारी ने बताया कि, किसी भी बीमारी का सही समय पर पहचान किए जाने से उसका बेहतर इलाज किया जा सकता है।  मौजूद संसाधनों और चिकित्सकों की मदद से यह संभव हो पा रहा है।

बच्ची की बची जान

शरीर पर बड़े-बड़े दाणे, जीभ और आंखों का लाल होने और चमड़ी फटने की शिकायत पर गंभीर अवस्था में इलाज के लिए पहुंची आठ साल की बच्ची का महंगी दवा की मदद से उपधार कर जान बचा ली गई है। शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ बिलय मोझारकर के अनुसार बच्ची को कावासाकी डिजीज था। भर्ती कर उसे उपचार की सुविधा दी गई और पखवाड़े भर तक निगरानी में रखने के बाद उसे स्वस्थ घोषित किया गया। इस बीमारी की वजह से भविष्य में हृदय संबंधी समस्या भी हो सकती थी।

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