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छत्तीसगढ़ में दिखे दक्षिण पूर्व एशिया के दुर्लभ पक्षी…कचरा साफ करने में करते हैं मदद

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के नवापारा खुर्द गांव में एक अद्भुत घटनाक्रम सामने आया है। इस गांव में पिछले 15 सालों से एक दुर्लभ पक्षी, लेसर एडजूटेंट स्ट्रॉक, अपना घर बना रहा है। यह पक्षी, जो प्राकृतिक कचरे को साफ करने के लिए जाना जाता है, अब एक भारतीय उड़न चमगादड़ के साथ एक ही पेड़ पर अपना बसेरा बना रहा है। यह अनोखा मेलजोल वैज्ञानिकों और पक्षी प्रेमियों के लिए एक रोमांचक खोज है।

लेसर एडजूटेंट स्ट्रॉक: प्रकृति का सफाईकर्मी
लेसर एडजूटेंट स्ट्रॉक दक्षिण-पूर्व एशिया के दलदली क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पक्षी मछलियों और मरे हुए छोटे जानवरों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, घटती संख्या के कारण इसे IUCN की असुरक्षित श्रेणी में रखा गया है।

ठाकुर सिंह का आंगन: पक्षियों का सुरक्षित ठिकाना
गांव के किसान ठाकुर सिंह के आंगन में लगा बरगद का पेड़ इस दुर्लभ पक्षी का घर बन गया है। ठाकुर सिंह और गांव के लोग न केवल इस पक्षी की रक्षा करते हैं बल्कि इसे अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। वे पक्षी के लिए सेमर के फल भी छोड़ देते हैं।

एक नया अध्याय: चमगादड़ का आगमन
हाल ही में, इस पेड़ पर भारतीय उड़न चमगादड़ भी आने लगे हैं। अब यह पेड़ दोनों प्रजातियों का घर बन गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चमगादड़ की नियमित उड़ान से पक्षी के घोंसले की सुरक्षा हो सकती है। हालांकि, इस अनोखे मेलजोल के पीछे के कारणों और इसके प्रभावों का अध्ययन अभी जारी है।

संरक्षण के प्रयास और चुनौतियां
इस क्षेत्र में लेसर एडजूटेंट स्ट्रॉक के घोंसलों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पक्षी हर कुछ वर्षों में अपना घोंसला बदलता है, इसलिए आसपास के क्षेत्रों में सर्वेक्षण की आवश्यकता है।

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