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राजकुमार कभी हुआ करते थे कुलभूषण, सफलता के बाद भी इसलिए रहे बदनाम

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मुंबई : बॉलीवुड में ‘जानी’ के नाम से मशहूर दिग्गज अभिनेता राजकुमार की आज पुण्यतिथि है। 3 जुलाई 1996 को  कैंसर के चलते उनका निधन हो गया था। बेशक राजकुमार अब हमारे बीच में न हों लेकिन उनके डायलॉग हमेशा के लिए अमर हो गए। फिल्म ‘रंगीली’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले राजकुमार अपनी बेहतरीन एक्टिंग, आवाज और बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते थे। वह पर्दे पर जितने बेबाक थे, उतने ही असल जिंदगी में मुंहफट भी थे। यही वजह थी की इंडस्ट्री में लोग उन्हें कम ही पसंद करते थे। आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताने जा रहे हैं-

साल 1965 में आई फिल्म ‘वक्त’ में जब राजकुमार ने ‘चिनॉय सेठ, जिनके अपने घर शीशे के हों वो दुसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते’ और ‘ये बच्चों के खेलने की चीज नहीं, हाथ कट जाए तो खून निकलने लगता है’। डायलॉग इतने फेमस हो गए कि वो हमेशा के लिए अमर हो गए। इन डायलॉग में कुछ खास बात नहीं थी लेकिन राजकुमार के बोलने के अंदाज नें उन्हें फेमस कर दिया था। बोलने के इसी अंदाज की वजह से ही वो इंडस्ट्री में बदमान थे। उनके ये डायलॉग आज भी लोग कई मौकों पर इस्तेमाल करते हैं।

राजकुमार का असली नाम कुलभूषण पंडित था। उनका जन्म 8 अक्टूबर 1926 को ब्रिटिश इंडिया के अधीन रहे बलूचिस्तान में हुआ था। वर्ष 1947 में देश का बंटवारा होने के बाद उनका परिवार हिंदुस्तान वापस लौट गया और यहां आने के बाद वह मुंबई में बस गए थे। राजकुमार मुंबई में सब-इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजुर था, उन्होंने नौकरी छोड़ फिल्म ‘रगींली’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की।

‘रंगीली’ से करियर की शुरुआत करने के बाद राजकुमार ‘आबशार’, ‘घमंड’ समेत कई फिल्मों में नजर आए। हालांकि, उन्हें 1957 की फिल्म ‘नौशेरवान-ए-आदिल’ से ज्यादा शोहरत हासिल हुई। इसके बाद वह फिल्म ‘मदर इंडिया’ में नजर आए, जिससे उनकी पॉपुलैरिटी में चार चांद लग गए। इसके बाद उन्होंने ‘पैगाम’ में काम किया। राजकुमार की पॉपुलर फिल्मों में ‘हमराज’, ‘हीर रांझा’, ‘पाकीजा’, ‘कुदरत’, ‘एक नई पहेली’, ‘मरते दम तक’, ‘मुकद्दर का फैसला’, ‘जंग बाज’ और ‘तिरंगा’ शामिल है।

राजकुमार के फेमस डायलॉग्स

जब राजेश्वर दोस्ती निभाता है तो अफसाने लिखे जाते हैं… और जब दुश्मनी करता है तो तारीख बन जाती है।

बिल्ली के दांत गिरे नहीं और चला शेर के मुंह में हाथ डालने। ये बदतमीज हरकतें अपने बाप के सामने घर के आंगन में करना, सड़कों पर नहीं।

जानी.. हम तुम्हें मारेंगे, और जरूर मारेंगे… लेकिन वो बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक्त भी हमारा होगा।

हम कुत्तों से बात नहीं करते।

हम तुम्हें वो मौत देंगे, जो न तो किसी कानून की किताब में लिखी होगी और न ही कभी किसी मुजरिम ने सोची होगी।

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