‘ज़मीन-जंगल नहीं देंगे’- स्टील प्लांट को लेकर भारी विरोध, 15 मई को होगी जनसुनवाई

Raigarh : तमनार क्षेत्र के बरपाली गांव में प्रस्तावित स्टील प्लांट को लेकर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। विरोध के बावजूद केलो स्टील एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड ने संयंत्र स्थापना की तैयारी शुरू कर दी है। वहीं, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने परियोजना पर जनसुनवाई की तारीख घोषित करते हुए आम नागरिकों, पर्यावरणविदों और संबंधित पक्षों से सुझाव और आपत्तियाँ आमंत्रित की हैं। यह प्रक्रिया भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की 14 सितंबर 2006 की अधिसूचना के तहत की जा रही है।
क्या है परियोजना का स्वरूप?
यह स्टील प्लांट परियोजना अत्याधुनिक संयंत्रों से युक्त होगी, जिनमें शामिल हैं:
- 2×250 टीपीडी डीआरआई किल्न्स (स्पंज आयरन के लिए)
- 4×15 टन इंडक्शन फर्नेस
- 15 टन एलआरएफ यूनिट और 10 टीपीएच आरएचएफ
- सीसीएम प्लांट (1,94,040 टीपीए हॉट बिलेट्स/एम.एस. बिलेट्स)
- रोलिंग मिल (1,86,766 टीपीए टीएमटी बार्स, एंगल्स, चैनल्स)
- कोल बेस्ड प्रोड्यूसर गैस प्लांट – 4000 NM3/hr
- 9 MVA के फेरो अलॉय प्लांट
- फ्लाई एश ब्रिक प्लांट – 54,900 ब्रिक्स/दिन
कब और कहां होगी जनसुनवाई?
परियोजना पर जनसुनवाई 15 मई 2025 को सुबह 11:00 बजे, ग्राम बरपाली, तहसील तमनार, जिला रायगढ़ में आयोजित की जाएगी।
कहां उपलब्ध है रिपोर्ट और कैसे दें सुझाव?
परियोजना से संबंधित पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) रिपोर्ट हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों में निम्नलिखित स्थानों पर उपलब्ध है:
- जिला पंचायत कार्यालय, रायगढ़
- कलेक्टर कार्यालय, रायगढ़
- जनपद पंचायत कार्यालय, पुसौर
- छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल की वेबसाइट www.cgpcb.gov.in
इच्छुक व्यक्ति जनसुनवाई से पहले लिखित रूप में राय या आपत्ति दर्ज करा सकते हैं या सुनवाई में स्वयं उपस्थित होकर अपनी बात रख सकते हैं।
क्यों हो रहा है विरोध?
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह एक कोल बेस्ड प्रोजेक्ट है, जो पहले से प्रदूषित हो चुकी तमनार क्षेत्र की हवा को और जहरीला बना देगा। अतीत में भी औद्योगिक परियोजनाओं से पहले पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने के वादे किए गए, लेकिन धरातल पर उनका असर नहीं दिखा। यही कारण है कि अब न केवल उद्योगों बल्कि पर्यावरण मंडल पर से भी लोगों का विश्वास उठ चुका है।
जल, जंगल और जमीन की लंबी लड़ाई
तमनार क्षेत्र के ग्रामीण वर्षों से जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब तक कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन हर बार उनकी आवाज दबा दी जाती है और कोई नया उद्योग यहां स्थापित हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस क्षेत्र में बढ़ते औद्योगिक प्रदूषण के चलते लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ा है और उनकी औसत आयु भी घट रही है।
केलो स्टील एंड पावर का यह नया प्रोजेक्ट फिलहाल विरोध की आग में घिरा हुआ है। अब देखना होगा कि कंपनी किस रणनीति से जनता का विश्वास जीतने की कोशिश करती है। फिलहाल, 15 मई को होने वाली जनसुनवाई इस संघर्ष का अहम पड़ाव साबित हो सकती है।