रायगढ़। जिले की पुसौर तहसील की भी अजब कहानी है यहां भ्रष्टाचार और मनमानी चरम पर है यहां नियम कानून को तक पर रखकर प्रशासनिक व्यवस्थाओं की खिल्ली उड़ाई जा रही है। क्षेत्र के लोग पुसौर तहसील कार्यालय के अधिकारियों के रवैए से इस हद तक परेशान हैं कि अब वह तहसील से न्याय की उम्मीद छोड़ नेता और मंत्रियों के दरवाजे खटखटा रहे हैं। पुसौर तहसील की अव्यवस्था और कार्यप्रणाली से परेशान क्षेत्र की जनता अब जिला कलेक्टर तथा क्षेत्र के मंत्री की शरण में जाकर अपनी फरियाद सुना रहे हैं।
पुसौर तहसील अंतर्गत बेजा कब्जा, अवैध निर्माण, सरकारी और गोचर की जमीनों पर अतिक्रमण का खुला खेल लंबे अरसे से चल रहा है। ऐसे मामलों में ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी कोई खास कार्रवाई नहीं होती है आपसी साठ गांठ कर तहसील के अधिकारी बेजा कब्जाधारी को पूरा मौका और समय देते हैं जिससे वे अपना अतिक्रमण व अवैध निर्माण कार्य पूरा लेते हैं। ताजा मामला ओडेकरा पंचायत से अलग होकर अस्तित्व में आई नई ग्राम पंचायत सराईपाली का है। यहां के राजेन्द्र प्रधान, लालमेर, सहनी पटेल, एस. चौहान, भागीरथी, ठंडाराम, अमित प्रधान नेपाल आदि लगभग 50 ग्रामीणों का आरोप है कि नवगठित ग्राम पंचायत की शासकीय भूमि, गोचर जमीन पर एक शासकीय कर्मचारी द्वारा अतिक्रमण कर आलीशान मकान बनाया जा रहा है जिसकी शिकायत के महीनों बीत जाने के बाद भी पुसौर तहसीलदार के द्वारा कब्जा धारी को केवल काम रोकने का नोटिस और कागजी खानापूर्ति की गई है जबकि कब्जाधारी द्वारा लगातार उक्त स्थान पर अपने निर्माण कार्य को पूरा किया जा रहा है जिसकी सूचना देने पर भी तहसीलदार द्वारा बेजा कब्जा हटाने की कार्रवाई नहीं की जा रही है। तहसीलदार पुसौर जिला रायगढ़ कार्यालय में सन् 2022 में गांव के राजेंद्र प्रधान एवं अन्य ग्रामीणों ने बैशाखू चौहान पिता फकीर चौहान जाति गांड़ा निवासी ग्राम सराईपाली पेशे से पुलिसकर्मी के द्वारा गांव के शासकीय भूमि में अतिक्रमण कर मकान बनाए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी।
ग्रामीणों की शिकायत पर तत्कालीन तहसीलदार नंदकुमार सिन्हा के द्वारा कार्रवाई करते हुए 24.03.2023 को काम रोकने तथा 29.11.2023 एवं 07.03.2024 को भी वारंट और उक्त भूमि से बेदखली का आदेश जारी किया गया था। लेकिन उनके ट्रांसफर के बाद इन आदेशों को रद्दी के टोकरी में फेंक दिया गया। ग्रामीण बता रहे हैं कि वर्तमान पदस्थ अधिकारी से मामले को लेकर गंभीर नहीं है और बेजा कब्जाधारी के शासकीय कर्मचारी होने के कारण उसे संरक्षण दे रहे हैं। जिस कारण वह लगातार शासकीय भूमि पर निर्माण कार्य किये जा रहा है । अब सवाल यह उठता है कि पुसौर जैसी बड़ी तहसील में लोगों को न्याय के लिए इसी तरह भटकना पड़ेगा। क्या अधिकारी अपने पद के गरिमा के विपरीत बेजा कब्जा, अवैध निर्माण, सरकारी और गोचर की जमीनों की हेरा फेरी करने वालों को संरक्षण देते रहेंगे या फिर जिला प्रशासन तथा क्षेत्र के विधायक ऐसे मामलों में संज्ञान लेकर कार्रवाई करेंगे।
वाह रे नोटिस, दो साल का समय
उक्त प्रकरण सामने आने के बाद तत्कालीन तहसीलदार के द्वारा कार्रवाई करते हुए काम रोकने का आदेश दिया गया था लेकिन उसके बाद कोष और तहसील के जिम्मेदारों ने उक्त स्थान पर निर्माण कार्य पूरा करने का समय दिया है। ग्रामीणों द्वारा तहसील में शिकायत करने पर तहसील के अधिकारियों द्वारा विधानसभा व लोकसभा आचार संहिता होने का बहाना कर कार्रवाई करने से बचते रहे हैं अब निकाय और पंचायत चुनाव होने हैं फिर से आचार संहिता लगेगा। अगर अभी भी कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाले समय में छत भी ढलाई कर दी जाएगी और बेशकीमती शासकीय भूमि सरकार और ग्रामीणों के हाथ से निकल जाएगी। इस मामले में खास बात यह है कि 1-1 नोटिस पर कार्यवाही के लिए लगभग 2-2 साल का समय लग रहा है। ऐसे में समझा जा सकता है कि यदि बेजा कब्जाधारी को 2-2 साल का समय मिलेगा तो वह मकान क्या पूरी कॉलोनी बना लेगा। अब ऐसा क्यों है यह तो तहसीलदार और उसका स्टॉफ जानें लेकिन ग्रामीणों के बीच यह चर्चा है कि या तो पैसे की गड़बड़ है या लापरवाही है या राजनीतिक रसूख हैं या ग्रामीणों की परवाह ही नहीं है।
वित्त मंत्री चौधरी तक पहुंची बात
जिले के तेज तर्रार विधायक एवं छत्तीसगढ़ शासन के प्रभावशाली मंत्री ओपी चौधरी तक अब यह बात ग्रामीणों ने शिकायत पत्र के माध्यम से पहुंचाई है। सर्वविदित है कि ओपी चौधरी कार्यप्रणाली से ईमानदार और काम के पक्के माने जाते हैं। गलत बात को कभी भी प्रश्रय नहीं देते हैं। ऐसे में पुसौर तहसील की शिकायत लगातार मीडिया में आना और भ्रष्टाचार व लापरवाही को लेकर शिकायत होते रहना मंत्री ओपी चौधरी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होगा, ऐसा माना जा रहा है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि कुछ अधिकारियों एवं स्टॉफ में से अनेक का लिंक राजधानी तक है। ऐसे राजनैतिक रसूखवाले अधिकारी से ग्रामीण परेशान हैं। इसलिए छत्तीसगढ़ शासन के वित्त मंत्री एवं अपने चहेते विधायक के समक्ष आवेदन देने पहुंचे थे। उनका मानना है कि ओपी चौधरी किसी भी हालत मे गलत नहीं होने देंगे। बस अब लापरवाह अधिकारियों पर कार्यवाही का ग्रामीणों को इंतजार है।