खबरीराम रायगढ़… जिले के ग्राम पंचायत गेरवानी क्षेत्र के बाशिंदे इन दिनों मां औद्योगिक प्रदूषण से खासे हलाकान हैं। ऊपर से उद्योगों द्वारा विस्तार को लेकर की जा रही कवायद ने ग्रामीणों का जीना दुश्वार कर रखा है। ऐसे में अब मां काली एलॉयज की होने वाली जनसुनवाई के खिलाफ भी लोग लामबंद होने लगे हैं। ग्रामीणों का खुला आरोप है कि मां काली एलॉयज ने कभी कोई ऐसी बुनियादी सुविधा की सौगात नहीं दी, जो जनहित में हो। यही कारण है कि कंपनी के विरोध में बैठक भी होने लगी है।
जिला मुख्यालय से तकरीबन 16 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत गेरवानी के आश्रित गांव पाली में स्थित मां काली एलॉयज प्रायवेट लिमिटेड अपना विस्तार करना चाह रही है। सरकारी प्रक्रिया के तहत औद्योगिक विस्तार को लेकर पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आगामी 24 अक्टूबर को पाली में बकायदा जनसुनवाई भी होनी है। चूंकि, ग्राम पाली, शिवपुरी, लाखा, देलारी, गौरमुड़ी समेत ईर्द-गिर्द इलाका पहले ही उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाले खतरनाक धुएं की चपेट में है। ऐसे में अब मां काली एलॉयज की 24 अक्टूबर को प्रस्तावित जनसुनवाई में विस्फोट करने की सुगबुगाहट भी तेज होने लगी है।
पाली सहित आसपास के गांव के लोगों का आरोप है कि सीएसआर मद से विकास की गंगा बहाने का दावा करने वाली मां काली एलॉयज ने कभी भी ग्रामीणों का सहयोग नहीं किया। मां काली प्रबंधन ने ग्रामीणों को न कभी कोई सार्वजनिक आयोजन के लिए चंदे के रूप में फूटी कौड़ी दी और न ही गांव की गली से लेकर चौराहे तक बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए अपना हाथ बढ़ाया। नतीजतन, कंपनी प्रबंधन से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिलने से भन्नाए ग्रामीण अब जनसुनवाई में भारी संख्या में विरोध दर्ज कराने की योजना बनाते हुए लगातार बैठकें भी कर रहे हैं।
बहरहाल, एक गांव से दूसरे और तीसरे-चौथे गांव के ग्रामीणों के लामबंद होना मां काली एलॉयज के लिए कोई सुखद खबर नहीं, बल्कि खतरे की घंटी ही है। समय रहते यदि स्थिति में सकारात्मक सुधार नहीं हुआ तो भविष्य में यह विस्फोटक रूप भी ले सकता है, जो कंपनी प्रबन्धन को भारी ही पड़ेगी।