द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, देवी काली के सिर पर सुशोभित सोने का पानी चढ़ा हुआ चांदी का मुकुट गुरुवार दोपहर को मंदिर के पुजारी द्वारा दिन की पूजा खत्म करने के कुछ ही देर बाद गायब हो गया. बाद में सफाई कर्मचारियों को मुकुट के गायब होने का पता चला.
बांग्लादेश में भारत के उच्चायोग ने रिपोर्टों पर “गहरी चिंता” व्यक्त की है. उच्चायोग ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “हमने 2021 में बांग्लादेश की अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी द्वारा जेशोरेश्वरी काली मंदिर (सतखिरा) को उपहार में दिए गए मुकुट की चोरी की रिपोर्ट देखी है. हम गहरी चिंता व्यक्त करते हैं और बांग्लादेश सरकार से चोरी की जांच करने, मुकुट को वापस पाने और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं.”
जेशोरेश्वरी मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत महत्व रखता है, जिसे भारत और उसके पड़ोसी देशों में फैले 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है. “जेशोरेश्वरी” नाम का अर्थ है “जेशोर की देवी”.
ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि मंदिर की उत्पत्ति 12वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुई थी, जब अनारी नामक एक “ब्राह्मण” ने जशोरेश्वरी पीठ (मंदिर) के लिए 100 दरवाजों वाला मंदिर बनवाया था. 13वीं शताब्दी में लक्ष्मण सेन द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और अंततः 16वीं शताब्दी में राजा प्रतापादित्य द्वारा इसका पुनर्निर्माण किया गया.
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ईश्वरीपुर में स्थित जेशोरेश्वरी मंदिर वह स्थान माना जाता है, जहाँ देवी सती के हथेलियाँ और पैर के तलवे गिरे थे. देवी की पूजा यहाँ देवी जशोरेश्वरी के रूप में की जाती है, जबकि भगवान शिव चंदा के रूप में प्रकट होते हैं.