कवि सुरेन्द्र दुबे की अंतिम यात्रा : कई प्रमुख हस्तियाँ होगी शामिल, कुमार विश्वास भी आएंगे रायपुर

रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा को कविताओं के माध्यम से देश-विदेश तक. पहुँचाने वाले हास्य के मंच पर अपनी अलग पहचान बनाने वाले प्रख्यात कवि डॉ. सुरं्र दुबे का गुरूवार को निधन ही गया। उनकी विदाई पर कवि समाज सहित पूरे देशभर में शोक की लहर है। इसी क्रम में देश के चर्चित कवि डॉ कुमार विश्वास भी रायपुर पहुँच रहे हैं। वे शुक्रवार सुबह अशोका रत, सुरेंद्र दुबे के निवास पर अंतिम दर्शन के लिए पहुंचेंगे और दिवंगत कवि को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

दोपहर बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया

परिजनों और स्थानीय प्रशासन के अनुसार, अंतिम संस्कार की प्रक्रिया दौपहर बाद रायपुर के मुक्तिधाम मैं संपन्न होगी, जहां साहित्य, कला और पत्रकारिता जगत की कई प्रमुख हस्तियां शामिल हौंगी। कवि सुरेंद्र दुबे का योगदान कविता के क्षेत्र मैं सामाजिक सरोकारों में उल्लेखनीय रहा है।

हास्य कविता जगत को गमगीन कर गई एक अपूरणीय क्षति

हास्य कवि पढाश्री डॉ. सुरेन्द दुबे ने गुरुवार को शाम 5 बजे अंतिम सांस ली। श्री दुबे की तबीयत अचानक खराब होने पर उन्हें अस्पताल मैं भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक आने की वजह से उनका निधन हो  गया। उनके निधन पर देश-विदेश के साहित्यकारों और कवियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। सीएम विष्णुदेव साय उनके घर पहुंचे और शौक प्रकट किया। उनके निधन का समाचार प्राप्त होते ही वित्त मंत्री ओपी चौधरी भी अस्पताल पहुँचे। उनका पार्थिव देह रायपुर अशोका रत्र स्थित निवास लाया गया है।

श्री दुबे कॉमिक कविताओं के व्यंग्यवादी और लेखक थे। वे पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। श्री दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ में दुर्ग के बेमेतरा मैं हुआ था। उन्होंने पांच किताबें लिखी, जो कई मंचो और टेलीविजन शो पर दिखाई गई। वर्ष 2010 मैं उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पढ़ा श्री से सम्मानित किया गया था। वह 2008 में काका हारी से हसया रत्र पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं।

वर्ष 2017 में थामा बीजेपी का दामन

डॉ. सुरेंद्र दबे केवल कवि ही नहीं, बल्कि एक प्रख्यात आयुर्वेदिक चिकित्सक, समाजसुधारक और राजनीतिक व्चारक भी थे। उन्होंने हास्य के माध्यम से व्यंग्य की धार को मंचों से तैकर टीवी तक पहुँचाया। डॉ. दुबे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विचारों से प्रेरित थे। वर्ष 2077 मैं उन्होंने तक्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में बीजेपी की सदस्यता ली थी। आज उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल ही रहा है जिसमें वे एक काव्य सम्मेलन के मंच से ‘मुझको भाजपा से कुछ नहीं चाहिए. पर मुझको अंतिम संस तक भाजपा चाहिए।’

कई पुरस्कार से किए जा चुके हैं सम्मानित

हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे कोमिक कविताओं के व्यंग्यवादी और लेखक थे। वे पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। श्री दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ में दुर्ग के बेमेतरा में हुआ था। उन्होंने पांच किताबें लिखी, जी कई मंची और टेलीविजन शो पर दिखाई गई। वर्ष 2000 मैं उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह 2008 में काका हाप्री से हसया रत पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं।

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