पाकिस्तान का मंदिर जहां वनवास के दौरान रुके थे भगवान राम, अब हिंदुओं को नहीं है यहां पूजा की इजाजत, जानें वजह

इस्लामाबाद: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम की इस समय दुनियाभर में चर्चा हो रही है। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के उद्घाटन के बीच पाकिस्तान स्थित एक राम मंदिर की भी चर्चा हो रही है। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के मार्गल्ला हिल्स में 16वीं सदी के इस मंदिर को राम मंदिर और राम कुंड मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का हिंदू मान्यताओं में बहुत महत्व है। हालांकि इस मंदिर से मूर्तियां हटा दी गई हैं और हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत नहीं है। ये मंदिर अब पर्यटकों के घूमने की जगहभर है।

इस्लामाबाद में सोलहवीं शताब्दी में बने इस मंदिर के बारे में हिंदुओं का मानना है कि भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां कुछ दिन रहे थे, जब वह 14 साल का वनवास काट रहे थे। मंदिर से सटा एक तालाब भी है, जिसे ‘राम कुंड’ कहा जाता है, इसके बारे में मान्यता है कि राम ने यहीं से पानी पिया था। इस कंड की वजह से ही इस मंदिर को राम कुंड मंदिर कहा जाता है।

कभी यहां हर साल लगते थे मेले

इस मंदिर की एक मंजिला इमारत लाल ईंटों से बनी है। इसके सामने एक है, जिसके बीच में एक ऊंचा मंच है जहां कभी राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रखी गई थीं। 1893 के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, भगवान राम के जीवन की स्मृति में स्थल के पास तालाब पर हर साल मेले लगते थे। दूर-दूर से इस मंदिर में हिंदू पूजा के लिए आया करते थे। 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने परिसर से मूर्तियां हटवा दी और हिंदुओं से मंदिर में पूजा करने की इजाजत बंद कर दी।

साल 1960 में इस्लामाबाद शहर बनने के बाद इस राम मंदिर मंदिर परिसर को लड़कियों के स्कूल में बदल दिया गया। हिंदू समुदाय के विरोध के बाद स्कूल को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया। लंबी लड़ाई के बाद 2006 में मंदिर को खाली कर दिया गया लेकिन अभी भी हिंदुओं को वहां पूजा करने की अनुमति नहीं मिली है। मंदिर में हिंदुओं को पूजा के अधिकार के लिए लगातार आंदोलन हो रहे हैं। अभी तो यह मंदिर परिसर रेस्तरां और हस्तशिल्प दुकानों की एक पर्यटक पट्टी में सिमट गया है।

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