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व्यवहार में ये गुण होंगे तो ही आप सज्जन कहलाएंगे, जानें क्या कहती है चाणक्य नीति

chankya niti

चाणक्य नीति ग्रंथ में आचार्य चाणक्य ने इंसान, परिवार, समाज और राष्ट्र के व्यवहार को लेकर विस्तृत उल्लेख किया है। आचार्य चाणक्य ने इसमें बताया है कि सज्जन व्यक्ति हमेशा दूसरी स्त्रियों को मां के समान देखता है। इसके अलावा पराए धन को भी मिट्टी के केले के समान समझता है। आचार्य चाणक्य ने सज्जन मनुष्यों की पहचान के बारे में कहा है कि ऐसे व्यक्तियों को इन गुणों के आधार पर पहचान सकते हैं।

धर्मे तत्परता मुखे मधुरता दाने समुत्साहता

मित्रेऽवञ्चकता गुरौ विनयता चित्तेऽति गम्भीरता

आचारे शुचिता गुणे रसिकता शास्त्रेषु

विज्ञानता रूपे सुन्दरता शिवे भजनता सत्स्वेव संदृश्यते।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि धर्म में निरंतर लगे रहना, मुख से मीठे वचन बोलना, दान देने में सदैव उत्सुक रहना, मित्र के प्रति कोई भेदभाव न रखना, गुरु के प्रति नम्रता और अपने हृदय में गंभीरता, अपने आचरण में पवित्रता, गुणों के ग्रहण करने में रुचि, शास्त्रों का विशेष ज्ञान, रूप में सौंदर्य और प्रभु में भक्ति होना ही किसी सज्जन पुरुष का गुण होता है।

प्रलये भिन्नमार्यादा भविंत किल सागर:

सागरा भेदमिच्छन्ति प्रलेयशपि न साधव:।

आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि समुद्र भी प्रलय आने पर अपनी मर्यादा तोड़ देता है। जल-थल एक हो जाते हैं, लेकिन जो व्यक्ति सज्जन होते हैं, वे भी बड़े से बड़े संकट में अपना धैर्य नहीं खोते हैं। सज्जन व्यक्ति हमेशा अपना धैर्य नहीं खोते हैं। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो व्यक्ति अपनी ईमानदारी से समझौता नहीं करता वह सज्जन कहलाता है।

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