गुवाहाटी। असम के छह पारंपरिक उत्पादों और शिल्पों को जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानि कि GI टैग मिल गया है। इन छह पारंपरिक उत्पादों और शिल्पों में शामिल है बिहू ढोल, जापी और सारथेबारी बेल मेटल शिल्प। इन सभी उत्पादों और शिल्पों को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिए गए हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार इसकी जानकारी दी।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इन छह पारंपरिक उत्पादों और शिल्पों को जीआई टैग मिलने पर कहा कि ये उत्पाद लगभग एक लाख लोगों को सीधे सहायता प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि इसे राज्य की विरासत के लिए एक बड़ी जीत बताया।
इन पारंपरिक शिल्प को मिला GI टैग
सरमा ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि नाबार्ड, आरओ गुवाहाटी के समर्थन से पारंपरिक शिल्प को छह प्रतिष्ठित जीआई टैग दिए गए हैं और जीआई विशेषज्ञ पद्म श्री डॉ रजनी कांत द्वारा सुविधा प्रदान की गई है। सीएम ने कहा, “इसमें असम बिहू ढोल, जापी, सार्थेबारी मेटल क्राफ्ट और बहुत कुछ जैसे प्रतिष्ठित आइटम शामिल हैं। इतिहास में गहराई से निहित ये उत्पाद लगभग एक लाख लोगों को सीधे समर्थन देते हैं।”
सीएम ने कहा, “इसमें असम बिहू ढोल, जापी, सार्थेबारी मेटल क्राफ्ट और बहुत कुछ जैसे प्रतिष्ठित आइटम शामिल हैं। यह सभी उत्पाद इतिहास समेटे हुए हैं जो लगभग एक लाख लोगों को सीधे रूप से रोजगार देते हैं।
इन उत्पादों के लिए जीआई टैग के लिए आवेदन 2022 के उत्तरार्ध में दायर किए गए थे और प्रमाणन की पुष्टि शनिवार को की गई थी। प्रमाणित उत्पादों में असम जापी (एक पारंपरिक बांस टोपी) और असम बिहू ढोल (बिहू के दौरान बजाया जाने वाला पारंपरिक ड्रम) शामिल हैं। असम अशरिकांडी टेराकोटा क्राफ्ट, असम पानी मटेका क्राफ्ट, सार्थेबारी मेटल क्राफ्ट और असम मिसिंग हैंडलूम उत्पाद अन्य उत्पाद हैं जिन्हें जीआई टैग प्राप्त हुआ है।