भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाला: फरार अधिकारियों के कारण जांच अटकी, 14 नए संदिग्धों की होगी पूछताछ

रायपुर। भारतमाला परियोजना में करोड़ों रुपए के भू-अर्जन घोटाले की जांच एक बार फिर गंभीर मोड़ पर आ गई है। इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) ने अभनपुर तहसील क्षेत्र के तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, तहसीलदार शशिकांत कर्रे, राजस्व निरीक्षक रोशनलाल वर्मा, पटवारी दिनेश पटेल सहित कई राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इनके फरार होने के कारण जांच की गति थमी हुई है।

अब तक ईओडब्ल्यू ने चार मुख्य आरोपियों—हरमीत सलूजा, उमा तिवारी, केदार तिवारी और विजय जैन—को गिरफ्तार कर रिमांड पर पूछताछ की है, लेकिन घोटाले की जड़ तक अब भी एजेंसी नहीं पहुंच सकी है। ईओडब्ल्यू को पूरा सच तब ही पता चल सकेगा जब फरार अफसर-कर्मचारी गिरफ्त में आएंगे।

NHAI के अफसरों पर भी शक की सुई

घोटाले में शामिल नक्शा NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) द्वारा तैयार किया गया था, जो अधिसूचना से पहले लीक हुआ हो सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर नक्शा लीक हुआ या कराया गया, तो इसमें एनएचएआई के अधिकारियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता।

बैक डेट पर बटांकन और मुआवजा घोटाला

जांच में सामने आया है कि अधिसूचना जारी होने के बाद, प्रभावित किसानों की जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर उनके रिश्तेदारों के नाम चढ़ाया गया। इससे मुआवजा कई गुना बढ़ गया। शक है कि ये बटांकन अधिसूचना से पहले ही हो गया था, जो स्पष्ट करता है कि प्रोजेक्ट का नक्शा पहले ही लीक हो चुका था।

किसानों की भी मिलीभगत

जमीन का मुआवजा सीधे किसानों के खातों में गया, लेकिन खातों से बड़ी मात्रा में धनराशि तुरंत निकाल ली गई। यह पैसा किसने और कैसे निकाला, इस पर भी जांच जारी है। इससे साफ है कि कुछ किसानों की भी घोटाले में भूमिका रही है।

14 नए संदिग्धों से होगी पूछताछ

ईओडब्ल्यू और एसीबी की पूछताछ में 14 नए संदिग्धों के नाम सामने आए हैं, जिनमें जमीन दलाल, पटवारी और राजस्व विभाग के अफसर शामिल हैं। इन सभी को जल्द नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। अधिकतर संदिग्ध गरियाबंद, जगदलपुर और धमतरी जिलों के हैं।

घोटाले की राशि और बढ़ने की आशंका

फिलहाल भू-अर्जन घोटाले की राशि 48 करोड़ रुपए आंकी गई है, लेकिन अन्य जिलों में भी इसी पैटर्न पर घोटाला किए जाने की आशंका है, जिससे यह रकम कई गुना बढ़ सकती है। इससे जांच का दायरा भी राज्यभर में फैलने की संभावना है।

रायपुर जैसा पैटर्न, कई जिलों में दोहराव

जांच एजेंसियों को शक है कि रायपुर में इस्तेमाल किया गया ‘टुकड़े में बंटवारा और नक्शा लीक’ पैटर्न ही धमतरी, गरियाबंद और जगदलपुर जैसे अन्य जिलों में भी दोहराया गया है। यहां भी भू-माफियाओं, जमीन दलालों और अधिकारियों की सांठगांठ से किसानों से जमीन खरीदकर मोटा मुनाफा कमाया गया।

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