अगले हफ्ते है ज्येष्ठ महीने का अंतिम प्रदोष व्रत, जानें इसका महत्व, तिथि और शुभ मुहूर्त

भगवान शिव के भक्तों के लिए प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस बार ज्येष्ठ महीने का अंतिम प्रदोष व्रत 1 जून, गुरुवार के दिन पड़ रहा है। गुरुवार के दिन होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहेंगे। भोलेनाथ के भक्तों के लिए ये व्रत बहुत खास होनेवाला है। मान्यता है कि शिव जी का यह उपवास करने से विरोधी परास्त होते हैं और जीवन में सुख शांति बनी रहती है। इस लिहाज से यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। चलिए जानते इसके शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-

प्रदोष व्रत: तिथि और मुहूर्त

शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 01 जून गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी जो अगले दिन 02 जून शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। वहीं प्रदोष काल 1 जून को शाम को 07 बजकर 14 मिनट से रात 09 बजकर 16 मिनट तक है। प्रदोष व्रत के दिन शिव की उपासना प्रदोष काल में की जाती है। ऐसे में यह व्रत 01 जून 2023, गुरुवार के दिन रखा जाएगा। इस बार शिव पूजा के समय अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त भी है, जो शाम 07:14 बजे से रात 08:30 बजे तक है।

कैसे करें पूजन?

प्रदोष व्रत की पूजा में भगवान शिव को कच्चा दूध, पुष्प, मेवे, कपूर, रोली, बेलपत्र, शहद, दीप, धूप और घी आदि अर्पित किया जाता है। इस दिन स्नान करने के बाद मंदिर में या फिर घर पर रुद्राभिषेक कराएं। पूजा करते समय ओम नमः शिवाय का जाप करें। पूजन के बाद भगवान शिव की आरती और भजन-कीर्तन भी करना चाहिए। इससे घर की सुख शांति बनी रहती है और तमाम बाधाएं दूर होती हैं।

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