मध्यप्रदेश में निवेश के नए अवसर, विकास की नई राहें: एमडी यादव

भोपाल :  ग्लोबल इन्वेस्टर समिट-2025 के पहले दिन “सड़क अवसंरचना में तेजी: निवेश, नवाचार और संभावनाएं” थीमैटिक सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी, विदेशी निवेश संभावनाओं, सतत एवं स्मार्ट अवसंरचना विकास, बहु-मोडल कनेक्टिविटी और प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना में निवेश के अवसरों पर विस्तार से चर्चा की गई।

सत्र में एमपीआरडीसी के प्रबंध निदेशक श्री भरत यादव, सेवानिवृत्त महानिदेशक, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय श्री आई.के. पांडेय, क्षेत्रीय अधिकारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण श्री एस.के. सिंह, मुख्य परिचालन अधिकारी क्यूब हाईवेज डॉ. राजू, प्रबंध निदेशक पाथ इंडिया श्री नितिन अग्रवाल, कार्यकारी उपाध्यक्ष एसबीआई कैप्स श्री मुकुल मोदी सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों, उद्योगपतियों और नीति-निर्माताओं ने भाग लिया। मध्यप्रदेश में सड़क अवसंरचना क्षेत्र में निवेश और विकास की संभावनाओं पर गहन विमर्श हुआ।

सत्र की शुरुआत में एमपीआरडीसी के प्रबंध निदेशक श्री यादव ने एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया, जिसमें मध्यप्रदेश के सड़क नेटवर्क, निवेश अवसरों और नवाचारों पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश तेजी से भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर हब के रूप में उभर रहा है।

उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश 47 राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा हुआ है और 3.5 लाख किलोमीटर से अधिक सड़क नेटवर्क इसे देश के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों से जोड़ता है। इसके अलावा, राज्य में 6 वाणिज्यिक हवाई अड्डे, 26 एयर-प्स और एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा हैं, जो वैश्विक कनेक्टिविटी को और अधिक सशक्त बना रहे हैं। राज्य सरकार बहु-मोडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा दे रही है, जिससे औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियां सुगम हो रही हैं।

थीमैटिक सत्र में राज्य में चल रही और आगामी प्रमुख सड़क परियोजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा हुई। इनमें अटल प्रगति पथ, विंध्य एक्सप्रेस-वे, नर्मदा प्रगति पथ, मालवा-निमाड़ विकास पथ, बुंदेलखंड विकास पथ और मध्य भारत विकास पथ जैसी परियोजनाएँ शामिल हैं। इनका उद्देश्य प्रदेश के औद्योगिक और आर्थिक विकास को गति देना और निवेशकों के लिए लॉजिस्टिक्स एवं परिवहन सुविधाओं को सुगम बनाना है।

सत्र में यह भी बताया गया कि राज्य में 75 हजार करोड़ रूपये की सड़क परियोजनाएँ वर्तमान में निर्माणाधीन हैं, 50 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाएँ डीपीआर चरण में हैं और 1.3 लाख करोड़ रूपये की सड़क परियोजनाएँ पाइपलाइन में हैं। इसके अलावा, मध्यप्रदेश सरकार ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल को सफलतापूर्वक लागू करते हुए अब तक 137 से अधिक सड़क परियोजनाएँ पूरी की हैं। इससे निवेशकों का भरोसा और अधिक बढ़ा है।

प्रदेश सरकार ने निवेशकों को पारदर्शिता, सुरक्षा और लाभदायक अवसरों का आश्वासन दिया है। निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार ई-टेंडरिंग, डिजिटल भुगतान सुविधा, समय से पहले परियोजनाओं को पूरा करने पर बोनस और विभिन्न सरकारी सहयोगी योजनाओं का लाभ दे रही है। मध्यप्रदेश भारत के सबसे तेज़ी से विकसित होते राज्यों में से एक है और इंफ्रास्ट्रक्चर लीडर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने निवेशकों को आमंत्रित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश उनकी विकास यात्रा का एक सशक्त भागीदार बनने के लिए पूरी तरह तैयार है।

सत्र में एक पैनल चर्चा भी हुई, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस चर्चा में श्री आई.के. पांडेय (सेवानिवृत्त महानिदेशक, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय), श्री एस.के. सिंह (क्षेत्रीय अधिकारी, एनएचएआई), डॉ. राजू (मुख्य परिचालन अधिकारी, क्यूब हाईवेज), श्री नितिन अग्रवाल (प्रबंध निदेशक, पाथ इंडिया) और श्री मुकुल मोदी (कार्यकारी उपाध्यक्ष, एसबीआई कैप्स) ने भाग लिया।

इस पैनल चर्चा में सड़क अवसंरचना के तेज़ी से विकास के लिए निवेश के अवसरों, नवीन तकनीकों और भविष्य की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया। विशेषज्ञों ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल, टिकाऊ सड़क निर्माण तकनीकों और बुनियादी ढांचे के विकास में वित्तीय संस्थानों की भूमिका पर अपने विचार साझा किए।

सड़क अवसंरचना में ऐतिहासिक निवेश, एक लाख करोड़ रूपये के एमओयू पर हस्ताक्षर

सत्र से पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह की उपस्थिति में राज्य सरकार और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के बीच एक लाख करोड़ रूपये के ऐतिहासिक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।

यह समझौता मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के विकास के लिए एक लाख करोड़ रूपये के निवेश को सुनिश्चित करेगा, जिससे लगभग 4010 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजनाओं का निर्माण एवं विकास किया जाएगा। राज्य सरकार ने इस अवसर पर भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया को त्वरित एवं सुगम बनाने का संकल्प लिया, जिससे निवेशकों को बिना किसी बाधा के अपने प्रोजेक्ट्स को कार्यान्वित करने में सुविधा होगी।

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