लीमा : दक्षिणी अमेरिकी राज्य पेरू ने गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre syndrome) का पता चलने के बाद हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की है। यह आपातकाल 90 दिनों तक रहेगा क्योंकि अधिकारी मामलों में ‘असामान्य वृद्धि’ से जूझ रहे हैं। मर्कोप्रेस न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, जून 2023 से देशभर में 182 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 147 को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है, 31 अभी भर्ती हैं और चार की मौत हो गई है। जीबीएस एक दुर्लभ डिसऑर्डर है जो इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है जिससे यह शरीर की नसों पर हमला करता है।
जीबीएस से मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं और गंभीर मामलों में यह लकवा या मौत का कारण भी बन सकता है। स्वास्थ्य मंत्री सीज़र वास्क्यूज़ के अनुरोध के बाद देश में स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि मामलों में वृद्धि का मतलब ‘एंटीबॉडीज की कमी’ हो सकता है। शनिवार को प्रकाशित अपने आधिकारिक बयान में, पेरू सरकार ने कहा कि 23 जून तक 103 मामले दर्ज किए गए थे।
पैरों में कमजोरी, झुनझुनी है लक्षण
पेरू के राष्ट्रपति दीना बोलुआर्ट के आदेश में यह भी कहा गया है कि मरीजों की देखभाल में सुधार, मामलों की संख्या पर नियंत्रण हासिल करने और रिपोर्ट तैयार करने के लिए लगभग 3.27 मिलियन डॉलर आवंटित किए जाएंगे। जीबीएस एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और एक ऑटोइम्यून बीमारी है। बीमारी का पहला लक्षण आपके हाथों और पैरों में कमजोरी और झुनझुनी है। इस बीमारी का कारण फिलहाल ज्ञात नहीं है।
बीमारी का नहीं है कोई इलाज
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के अनुसार, जीबीएस अक्सर आपके पैरों में झुनझुनी और कमजोरी से शुरू होता है और आपके ऊपरी शरीर और बाहों तक फैल जाता है। कुछ लोगों को सबसे पहले लक्षण बांहों या चेहरे पर दिखाई देते हैं। जैसे-जैसे जीबीएस बढ़ता है, मांसपेशियों की कमजोरी लकवे में बदल सकती है। फिलहाल इस सिंड्रोम का कोई इलाज अभी तक विकसित नहीं हुआ है।