24 सालों में नक्सलियों ने 354 ग्रामीणों की कर दी हत्या, भूमकाल दिवस पर पुलिस ने याद किया

सुकमा। जिले में पहली बार पुलिस ने भूमकाल दिवस मनाया जिसमें राज्यगठन के बाद नक्सल हिंसा में मारे गए ग्रामीणों के बलिदान को याद किया गया। जिले में 2001 के बाद से अब तक 354 ग्रामीणों की हत्या कर दी गई।जिसमें ऐसे ग्रामीण भी शामिल है जो डर के मारे पुलिस को जानकारी नहीं दी। भूमकाल दिवस पर पुलिस कप्तान किरण चव्हाण ने ग्रामीणों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि शांति स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा साथ ही नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ आत्म समर्पण करे और मुख्यधारा से जुड़कर विकास में भागीदारी निभाऐ।

शनिवार सुबह 10 बजे जिला मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन में भूमकाल दिवस की 114वीं वर्षगांठ मनाई गई। पुलिस प्रशासन द्वारा पहली बार भूमकाल दिवस मनाया गया। जिसमें 2001 के बाद जिन ग्रामीणों की हत्या नक्सलियों से हुई उनकी बलिदान को याद किया गया।

पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण व पुलिस अधिकारियों ने शहीद स्मारक के पास भूमकाल दिवस पर शहीद गुंडाधूर की प्रतिमा पर फूल अर्पण किए। साथ ही अंग्रेजों से लड़ने वाले आदिवासी नेताओं के साथ-साथ उन ग्रामीणों के बलिदान को याद किया गया जिनका नक्सलियों द्वारा हत्या की गई हो। डीएसपी संजय सिंह ने जिले में 354 ग्रामीणों का नाम स्मरण किया जिनकी हत्या नक्सिलयों ने कर दी थी। ज्ञात हो कि पुलिस प्रशासन द्वारा भूमकाल दिवस पर इस तरह का आयोजन पहली बार किया है।

एर्राबोर में मारे गए सबसे ज्यादा ग्रामीण

2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्यगठन हुआ था। और नक्सलवाद छत्तीसगढ़ को विरासत में मिला था। 2001 के बाद अब तक जिले में 354 ग्रामीणों की हत्या नक्सलियों ने की है। और इसमें सबसे ज्यादा एर्राबोर गांव जहां 95 ग्रामीणों को मौत के घाट उतारा गया है। वही कुछ ग्रामीण ऐसे भी है जिनका नाम पुलिस रिकार्ड में नहीं है क्योंकि नक्सलियों के डर से ग्रामीण पुलिस को नहीं बताऐ। हालांकि अधिकांष ग्रामीणों की सल्वा जुडूम के दौरान हत्या हुई थी।

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