नजरबंदी की जगह बदलने के लिए कोर्ट पहुंचे नवलखा; बिहार जातिगत सर्वे के जुड़ी अर्जी पर सुनवाई 28 को

नई दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अपना पता बदलने की मांग की है। दरअसल, नवलखा एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में मुंबई के एक सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद हैं।

जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ को नवलखा के वकील ने बताया कि जिस जगह पर उन्हें नजरबंद किया गया है, वह एक सार्वजनिक पुस्तकालय है। इसलिए इसे खाली करने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह कहीं और जाने के लिए नहीं कह रहे हैं, बल्कि सिर्फ मुंबई में ही पता बदलने की मांग कर रहे।

शुक्रवार को होगी अगली सुनवाई

अदालत में एक अन्य मामले में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि उन्हें आवेदन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसलिए इसका जवाब देने के लिए उन्होंने समय मांगा है। वहीं, पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार को करेगी।

यह है मामला

नवलखा को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था और शुरुआत में नजरबंद किया गया था। उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अप्रैल 2020 में नवी मुंबई के तलोजा सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि, पिछले साल 10 नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी एक महीने के लिए घर में नजरबंदी की याचिका को स्वीकार कर लिया था। वह वर्तमान में नवी मुंबई में रह रहे हैं।

एनआईए ने दावा किया है कि मानवाधिकार कार्यकर्ता भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का सक्रिय सदस्य था। आतंकवाद रोधी एजेंसी ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया है कि आवेदक (नवलखा) नबी फई के नेतृत्व वाले ‘कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल’ (केएसी) द्वारा आयोजित सम्मेलनों को संबोधित करने के लिए तीन बार अमेरिका गया था। केंद्रीय एजेंसी के अनुसार, कार्यकर्ता अमेरिका में रहने वाले कश्मीरी अलगाववादी नबी फई के साथ ईमेल के माध्यम से और कभी-कभी फोन के माध्यम से संपर्क में था।

नबी फई को जुलाई 2011 में अमेरिका के एफबीआई ने आईएसआई और पाकिस्तान सरकार से पैसा स्वीकार के लिए गिरफ्तार किया था। केंद्रीय जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि नवलखा ने नबी फई के मामले की सुनवाई कर रहे अमेरिकी अदालत के न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था। आतंकवाद रोधी एजेंसी ने आगे दावा किया कि नवलखा को आईएसआई के निर्देश पर नबी फई द्वारा भर्ती के लिए पाकिस्तानी आईएसआई जनरल से मिलवाया गया था, जो कश्मीरी अलगाववादी और पड़ोसी देश की खुफिया एजेंसी के साथ उनकी सांठगांठ और मिलीभगत को दिखाता है।

जाति सर्वेक्षण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई

बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण कराने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 28 अप्रैल की तारिख तय की है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करने वाले एक वकील की दलील पर ध्यान दिया। वकील ने पीठ को बताया कि जाति सर्वेक्षण 15 अप्रैल को शुरू हुआ और 15 मई को समाप्त होने वाला है। पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई 28 अप्रैल को करेगी।

गौरतलब है, शीर्ष अदालत ने 20 जनवरी को बिहार में जाति सर्वेक्षण कराने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि याचिकाओं में कोई योग्यता नहीं है। साथ ही याचिकाकर्ताओं को संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका को खारिज कर दिया था।

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