नसीरुद्दीन शाह का शॉकिंग खुलासा, दोस्त ने मारी थी गोली, खून से लथपथ एक्टर को अस्पताल लेकर भागे थे ओम पुरी

मुंबई : नसीरुद्दीन शाह ने चार दशक लंबे करियर में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में कुछ सबसे बेहतरीन फिल्में दी हैं। ‘एंड देन वन डे’ टाइटल से अपनी बायोग्राफी में एक्टर ने एक घटना के बारे में खुलासा किया जहां उनके एक एक्टर दोस्त जसपाल ने उन्हें चाकू मार दिया था और ओम पुरी उनके बचाव में आए थे। यह उनकी 1977 की फिल्म ‘भूमिका’ की शूटिंग के दिनों की बात है, नसीरुद्दीन एक बार ओम पुरी के साथ बाहर खाना खाने गए थे। तभी, उनके दोस्त जसपाल रेस्टोरेंट में आए।

Naseeruddin Shah बताते हैं, ‘हमने एक-दूसरे को नजरअंदाज कर दिया, लेकिन उनकी नजरें मुझ पर टिक गईं, वह मेरे पीछे दूसरी टेबल पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद, मेरी पीठ के बीच में एक तेज मुक्के का एहसास हुआ। मैंने उठना शुरू कर दिया, जैसे-तैसे मैं उठ रहा था। इससे पहले कि मैं हिल पाता, ओम ने दबी चीख के साथ मेरे पीछे किसी चीज़ की ओर झपटा। मैंने देखा कि जसपाल के हाथ में एक छोटा सा चाकू था, उसकी नोक से खून टपक रहा था, उसका हाथ फिर से वार करने के लिए उठा हुआ था और ओम और दो और लोग उसे काबू में करने के लिए पकड़ रहे थे।’

नसीरुद्दीन शाह को दोस्त ने मारा था गोली

एक्टर ने आगे बताया, ‘ओम ने मुझे वापस आकर बताया कि जसपाल को किचन में ले जाया गया है और उसका इलाज किया जा रहा है। वह मुझे डॉक्टर के पास ले जाना चाहता था, लेकिन रेस्टोरेंट के लोगों ने पुलिस के आने तक हमें जाने से मना कर दिया। जब एम्बुलेंस आई, तो ओम ने बिना इजाजत के उसमें चढ़ने की बड़ी गलती की और पुलिस को मेरे साथ सॉफ्ट रहने के लिए कहा। उसे उतरने के लिए कहा गया। हममें से किसी को भी अंदाज़ा नहीं था कि हम कहां जा रहे हैं लेकिन मैंने सोचा कि यह पुलिस स्टेशन न हो।’

जुहू के कूपर अस्पताल पहुंते नसीरुद्दीन शाह

एक्टर को जुहू के कूपर अस्पताल ले जाया गया क्योंकि उनकी चोट से बहुत खून बह रहा था। उन्होंने लिखा है, ‘खून रुका नहीं था, दर्द तेज हो रहा था और ये पुलिसकर्मी स्थिति को समझ नहीं पाए थे। हमसे कुछ सरसरी सवाल और रेडियो पर मराठी में कुछ पूछा गया, फिर हम जुहू के कूपर अस्पताल पहुंचे।’

मिलने भी आए थे दोस्त जसपाल

मशहूर एक्टर ने अपनी बायोग्राफी में यह भी खुलासा किया कि जब वह घर पर अकेले थे तो जसपाल उनसे मिलने आए थे। लेकिन माफ़ी मांगने के बजाय, उन्होंने समझाया कि जो कुछ भी हुआ वह ‘पर्सनल’ नहीं था।

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