शेर, बगुले, मुर्गे और कौए से जरूर सीखें ये गुण, जानें क्या कहती चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य एक युग दृष्टा थे और चाणक्य नीति ग्रंथ में उनके द्वारा दी गई सीख आज सदियों बाद भी प्रासंगिक है। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दुष्ट राजा के शासन में प्रजा को सुख नहीं मिल सकता है और धोखेबाज मित्र से सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती। इसी प्रकार दुष्ट स्त्री को पत्नी बनाने से घर में सुख और शांति नहीं रह सकती। इसी प्रकार खोटे शिष्य को विद्या दान देने वाले गुरु को भी अपयश ही मिलता है।

सिंहादेकं बकादेकं शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात्

वायसात्पञ्च शिक्षेच्च षट्शुनस्त्रीणि गर्दभात्

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य  ने कहा है कि व्यक्ति को शेर, बगुले, मुर्गे, कौए, कुत्ते, गधे से कुछ गुण सीखने चाहिए। इस संसार की प्रत्येक वस्तु और प्रत्येक प्राणी हमें कोई न कोई उपदेश दे रहे हैं। इन गुणों को सीखकर जीवन में सफलता, उन्नति और विकास किया जा सकता है।

प्रभूतं कार्यमल्पं वा यन्नरः कर्तुमिच्छति ।

सर्वारम्भेण तत्कार्य सिंहादेकं प्रचक्षते ।।

आचार्य चाणक्य के मुताबिक कार्य छोटा हो या बड़ा व्यक्ति को शुरू से ही उसमें पूरी शक्ति लगा देनी चाहिए। यह शिक्षा हम शेर से ले सकते हैं। इसका भाव यह है कि व्यक्ति जो भी कार्य करे, चाहे वह छोटा हो अथवा बड़ा, उसे पूरी शक्ति लगाकर करना चाहिए, तभी उसमें सफलता प्राप्त होती है। सिंह पूरी शक्ति से शिकार पर झपटता है।

बगुला देता है ये सीख

बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में करके समय के अनुरूप अपनी क्षमता को तौलकर बगुले के समान अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए। बगुला जब मछली को पकड़ने के लिए एक टांग पर खड़ा होता है तो उसे मछली के शिकार के अतिरिक्त अन्य किसी बात का ध्यान नहीं होता। इसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति जब किसी कार्य की सिद्धि के लिए प्रयत्न करें तो उसे अपनी इंद्रियां वश में रखनी चाहिए।

मुर्गे से सीखें 5 बातें

समय पर उठना, युद्ध के लिए सदा तैयार रहना, अपने बन्धुओं को उनका उचित हिस्सा देना और स्वयं आक्रमण करके भोजन करना ये चार बातें मुर्गे से सीखनी चाहिए।

कौए से सीखें ये बातें

वहीं छिपकर मैथुन करना, ढीठ होना, समय-समय पर कुछ वस्तुएं इकट्ठी करना, निरंतर सावधान रहना और किसी दूसरे पर पूरी तरह विश्वास नहीं करने जैसी 5 बातें हमें कौए से सीखना चाहिए।

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