सरगुजा में आदिवासी युवक की हत्या : कांग्रेस ने सरकार पर उठाए सवाल, मांगा दो करोड़ का मुआवजा

रायपुर : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने राजीव भवन में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि 90 दिनों से गायब थाना सीतापुर के बेलजोरा निवासी दीपेश उर्फ संदीप लकड़ा का शव ग्राम लूरेना बड़वापाट में जल जीवन मिशन का ठेकेदार अभिषेक पांडेय के साइड में बनाये गये पानी टंकी के नीचे दबा मिलता है। ठेकेदार अभिषेक पांडेय एवं उनके आदमी दीपेश लकड़ा उर्फ संदीप के घर जाकर उनके पिताजी को धमकाते है और डराते है, चुनौती देते हुये कहते है कि अपने बेटे को अब ढूंढ लेना। 7 जून 2024 की शाम को अभिषेक पांडेय ठेकेदार एवं उनके मुंशी प्रत्युष पांडेय एवं अन्य लोग ग्राम उलकिया से राजमिस्त्री दीपेश उर्फ संदीप लकड़ा के साथ मारपीट कर अपहरण कर लेते है। दीपेश लकड़ा के पत्नी अपने पति के गुमशुदगी शिकायत दर्ज कराते है, पुलिस के द्वारा मामला को गंभीरता से नहीं लिया जाता है। समाज के अन्य लोग पीड़ित के साथ प्रदर्शन करते है तब एफआईआर दर्ज किया जाता है। पुलिस के साथ मिलीभगत करके ठेकेदार ने दीपेश के खिलाफ चोरी का मामला दर्ज किया जाता है। इस तरह से पूरे मामले में पुलिस प्रशासन अपराधियों को बचाने के लिये 90 दिनों तक परिजनों को गुमराह करती रही।

बहुत ही गंभीर मामला है फिर से प्रदेश में आदिवासी भाई की जघन्य हत्या हुई है। राजमिस्त्री जो ठेकेदार के अंदर में काम करने वाला है, को चोरी के इल्जाम में फंसाकर घर वालों को धमकी दिया जाता है, पुलिस प्रशासन कुछ नहीं करती है। अपहरण किया जाता है तब भी पुलिस प्रशासन कुछ नहीं करती है। गांव वाले प्रदर्शन करते है उसके बाद चोरी के मामले में एफआईआर दर्ज होता है। उनका अपहरण कर मार दिया जाता है। मारने के बाद जघन्य अपराध को छुपाने के लिये ठेकेदार द्वारा टंकी का निर्माण किया जा रहा था उस टंकी के लगभग 15 से 20 फीट नीचे उसको गाड़ दिया जाता है और उसके ऊपर टंकी का निर्माण कर दिया जाता है। 3 महिना के बाद भी पुलिस प्रशासन कार्यवाही नहीं करती है। हाईकोर्ट में याचिका दायर होने के बाद एफआईआर होता है उसके बाद पुलिस प्रशासन संज्ञान में लेती है और फिर कार्यवाही करती है। ठेकेदार के द्वारा लगातार गुमराह किया गया। पु

लिस प्रशासन के सहयोग से मृत्य व्यक्ति के मोबाइल को अन्य शहरों में ले जाकर ट्रेस कराना और इस शहर में उनका लोकेशन बताना प्रशासन की भूमिका पर सवाल है। यह भी जानकारी है कि ठेकेदार के अकाउंट से इस तीन महिने के दौरान आनलाईन करोड़ों रू. का लेनदेन हुआ है। मतलब साफ है इस मामले को दबाने के लिये, इस मामले को गुमराह करने के लिये, इस मामले को लीपा-पोती करने के लिये करोड़ो रू. का लेनदेन हुआ है। इसकी निष्पक्षता से जांच करनी चाहिये। आदिवासी समाज लगातार आक्रोशित है। लगातार आंदोलन कर रहे है न्याय की मांग को लेकर। आदिवासी समाज ने मांग किया है मृत परिवार को 2 करोड़ रू. मुआवजा मिलना चाहिये। साथ ही इस मामले को सरकार को गंभीरता से जांच करनी चाहिये। जो दोषी है उनको कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिये। लेकिन सरकार जिस गति से एफआईआर दर्ज करने में लेतलतीफी कर रही है अपराधियों को बचाने का काम कर रही है ये प्रदेश के आम नागरिक के लिए सबसे बड़ा चुनौती भरा हुआ है।

इसी तरह भिलाई में शनिवार की रात को तीन भाइयों की हत्या कर दी जाती है। पूरे घर को अपराधियो ने सूना कर दिया है। आधे परिवार को खत्म कर दिया है। इस तरह से भाजपा की सरकार आने के बाद से लगातार अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है। सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। गृहमंत्री, मुख्यमंत्री मुंह में दही जमा के बैठे है। अपराध में कोई नियंत्रण नहीं है। इस प्रदेश में बलात्कार, गैंगरेप की घटनायें घट रही है। राजधानी रायपुर जैसा जगह महिलाओं के लिये सुरक्षित नहीं है। प्रदेश में सरकार नाम की चीज नहीं है। ये सरकार भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की सुरक्षा करने के लिये बनी है, अपराधियों को संरक्षण देने के लिये बनी है। एक आम नागरिको को एफआईआर दर्ज कराने के लिये दर-दर भटकना पड़ रहा है। विपक्षी दल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज करने के लिये ये सरकार बनी है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को लाठी मारने के लिये ये सरकार बनी है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमा दर्ज करने के लिये ये सरकार बनी है। एक तरफ इस सरकार के नुमाइंदे, कार्यकर्ता इस सरकार को खुलेआम चुनौती देते है हिम्मत है तो कार्यवाही करके दिखाओ, साहस है तो गिरफ्तारी करके दिखाओ। पुलिस प्रशासन मुकदर्शक बनकर, मुकबधिर बनकर बैठी हुई है। कितनी बेबस, लाचार बन कर बैठी है ये सरकार। क्या पुलिस प्रशासन को अपराध दर्ज करने के लिये मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से अनुमति लेना पड़ता है इस सरकार में? धारा लगाने के लिये भी क्या मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से अनुमति लेना पड़ता है? इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता। कांग्रेस लगातार इस मसले को उठा रही है कि अपराध प्रदेश में चरम पर है। महिला सुरक्षा खतरे में है। इसलिये ये सरकार कानून राज नहीं जंगल राज चला रही है। अगर थोड़ी बहुत मर्यादा बचा है तो गृहमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिये या सरकार को गृहमंत्री से इस्तीफा ले लेना चाहिये।

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