मुन्नाभाई एमबीबीएस बर्खास्त : बिना रजिस्ट्रेशन बन गया था सरकारी डॉक्टर, सात साल तक करता रहा मरीजों का इलाज

रायपुर। छत्तीसगढ़ सहित देश में कई राज्यों में एमबीबीएस मुन्ना भाई परीक्षा देते पकड़े गए हैं, लेकिन प्रदेश में यह पहला मामला है, जिसमें एक मुन्ना भाई शासकीय नौकरी करते हुए पकड़ा गया है। इस मुन्ना भाई का नाम राहुल अग्रवाल है, जो रायपुर निवासी होने के साथ पिछले सात वर्ष से अधिक समय से राजधानी रायपुर में शासकीय अस्पतालों में पदस्थ रहा है। इस मुन्ना भाई का भांडा तब फूटा जब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत इसकी डिग्री और मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन की जानकारी डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) से लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छत्तीसगढ़ (एनएचएम) से मांगी।

एनएचएम ने इस मामले में सीएमएचओ के माध्यम से डॉक्टर राहुल को एमबीबीएस की डिग्री एवं मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज जमा करने कहा था, लेकिन दी गई समय-सीमा खत्म होने के कई महीनों बाद भी जमा नहीं किए, जिसके बाद एनएचएम ने राहुल की नियुक्ति में गड़बड़ी हुई है, मानते हुए बर्खास्त कर दिया है।

वर्ष 2018 में हुई थी नियुक्ति

विभागीय सूत्रों के अनुसार, डॉ. राहुल अग्रवाल की नियुक्ति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छत्तीसगढ़ के माध्यम से वर्ष 2018 में की गई थी। उसकी नियुक्ति सबसे पहले रायपुर स्थित खोखोपारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में की गई थी। बर्खास्तगी के पहले वह मठपुरैना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ था। बताया जा रहा है कि वह जिला अस्पताल में भी करीब सालभर पदस्थ रहा है।

मुन्ना भाई के किरदार में सात साल तक करता रहा मरीजों का इलाज

नियुक्ति के बाद बिना एमबीबीएस की डिग्री एवं मेडिकल काउंसिल में पंजीयन के वह इतने वर्षों से मुन्ना भाई का किरदार निभाते हुए मरीजों का इलाज भी करता रहा। बिना डिग्री-प्रेक्टिस के राहुल अग्रवाल ने मरीजों का किस तरह से इलाज किया होगा, यह भी जांच का विषय है। बताया जा रहा है कि राहुल अग्रवाल कायाकल्प तथा पीसीपीएनडीटी (गर्भारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994) टीम का हिस्सा भी रहा है।

एनएचएम की नियुक्ति पर भी उठा सवाल

प्रदेश में राहुल अग्रवाल के रूप में फर्जी नियुक्ति के मामले का खुलासा होने के बाद अब एनएचएम छत्तीसगढ़ पर भी सवाल उठने लगा है, क्योंकि राहुल की नियुक्ति भी एनएचएम ने ही की है। इससे पता चलता है कि नियुक्ति में या तो गड़बड़ी हुई है या फिर डिग्री और मेडिकल काउंसिल में पंजीयन के नियम को दरकिनार कर राहुल की नियुक्ति हुई है।

कई और मुन्ना भाई मिलने की संभावना

जिस तरह से डॉ. राहुल की नियुक्ति हुई है, उससे यह भी संभावना जताई जा सकती है कि प्रदेश में ऐसे और भी कई मामले हो सकते हैं, जिनमें मुन्ना भाइयों की नियुक्ति हुई है।

दस्तावेज जमा करने अतिरिक्त समय लेने हाईकोर्ट में भी लगाई थी याचिका

एनएचएम के आयुक्त सह मिशन संचालक ने इस संबंध में 4 अगस्त को आदेश जारी किया है। इस आदेश में बताया गया है कि डॉ. राहुल अग्रवाल को नोटिस जारी कर उसकी एमबीबीएस की डिग्री एवं मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन संबंधी दस्तावेज 5 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से सीएमएचओ के पास जमा करने के निर्देश दिए थे। इस निर्देश पर राहुल अग्रवाल ने दस्तावेज जमा नहीं कर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इस याचिका में राहुल ने दस्तावेज जमा करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था। इसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने 90 दिनों का समय भी दिया था, लेकिन इसके बाद भी वह दस्तावेज जमा नहीं कर पाया। इस बीच राहुल की मांग पर हाईकोर्ट ने एक माह का अतिरिक्त समय भी दिया था, पर वह दस्तावेज जमा नहीं कर पाया। इसके बाद हाईकोर्ट ने राहुल की याचिका को खारिज कर दिया। इस तरह राहुल अग्रवाल एमबीबीएस की डिग्री तथा मेडिकल काउंसिल पंजीयन के दस्तावेज जमा नहीं कर पाया, जिसे आधार मानते हुए एनएचएम ने उसकी सेवा समाप्त कर दी।

दस्तावेज जमा नहीं करने पर कार्रवाई

रायपुर आंबेडकर अस्पताल के सीएमएचओ मिथिलेश चौधरी ने बताया कि, राहुल अग्रवाल की नियुक्ति एनएचएम छत्तीसगढ़ ने की थी। बर्खस्त भी एनएचएम ने किया है। शिकायत आने पर एमबीबीएस की डिग्री एवं मेडिकल काउंसिल में पंजीयन संबंधी दस्तावेज जमा करने कहा था, पर जमा नहीं किया। इस कारण बर्खस्तगी की कार्रवाई हुई।

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