MPPSC: नेताओं के बच्चों को अधिक नंबर देकर डिप्टी कलेक्टर बनाया, छात्रों ने लगाए गंभीर आरोप

इंदौर : एमपीपीएससी (मप्र लोक सेवा आयोग) की भर्तियों पर छात्र संगठन नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू) ने गंभीर आरोप लगाए हैं। संगठन ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारियां पोस्ट की हैं और कहा है कि इंटरव्यू की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी इंटरव्यू की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। हाल ही में उन्होंने एक प्रेस वार्ता करके कहा है कि एमपीपीएससी के इंटरव्यू की रिकॉर्डिंग क्यों नहीं की जा रही है?

तीसरे नंबर पर आए छात्र ने साझा किया दर्द
मेन्स के परिणाम में थर्ड टापर रहे राम सोलंकी ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द साझा किया है। राम को मेन्स में 768 नंबर मिले और इंटरव्यू में उन्हें सिर्फ 75 नंबर दिए गए। उन्होंने सोशल मीडिया पर कविता लिखकर कहा है कि मेन्स में सबसे ऊंचा था मेरा नाम, जब आया इंटरव्यू का पहर, सपनों पर लगा दिया भ्रष्टाचार का जहर। 75 अंक देकर किया किनारा, मेरी मेहनत को कर दिया बेसहारा।

Mains Topper    Interview Looser
1. 797 (Highest)             63
2. 769 (2nd Highest)     100
3. 768 (3rd Highest)       75
4. 758 (Mains Topper)    63
4. 753 (Mains Topper)    67
5. 746 (Mains Topper)    85

Mains Low Score    Interview Topper
1. 618                       155
2. 690                       155
3. 715                       155
4 .648                        154
5. 653                        153
6. 640                        151
7. 695                        150

आयोग पर क्या हैं आरोप
नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू) के सदस्यों का कहना है कि जिन छात्रों को मुख्य परीक्षा में सर्वाधिक नंबर आए वे इंटरव्यू में कम नंबर ला पाए और नेताओं के जो बच्चे मुख्य परीक्षा में कम नंबर लाए थे इंटरव्यू में उन्हें सर्वाधिक नंबर दिए गए। परिणाम यह हुआ कि मुख्य परीक्षा में सर्वाधिक अंक लाने वाले तहसीलदार बनकर रह गए और इंटरव्यू में मिले अधिक नंबरों के दम पर नेताओं के बच्चे डिप्टी कलेक्टर बन गए। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ छात्रों को लगातार हर परीक्षा में इंटरव्यू में बेहतर नंबर दिए गए।

इंटरव्यू की रिकार्डिंग करवाने में क्यों डरता है आयोग
नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू) ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं और उनका कहना है कि इंटरव्यू को पारदर्शी तरीके से करने पर ही यह धांधली रुकेगी। संगठन के राधे जाट और रणजीत किसानवंशी ने कहा कि एक दो नहीं बल्कि इस तरह के सैकड़ों मामले हैं जिनमें नेताओं के बच्चों और परिचितों को इंटरव्यू में अधिक नंबर देकर बड़े पदों पर बैठाया गया है। दोनों ने कहा कि इंटरव्यू की रिकार्डिंग करवाने और उसे जनता के बीच सार्वजनिक करने में आयोग क्यों डरता है। जब कोर्ट की रिकार्डिंग हो रही है तो आयोग के इंटरव्यू की रिकार्डिंग करने में क्यों रुकावट है। संगठन का यह भी कहना है कि इंटरव्यू का वेटेज कम करना चाहिए। इंटरव्यू के नंबर सिर्फ 100 ही रखना चाहिए ताकि इतना अधिक अंतर न आए।

प्रशासन को अपने हाथ में लेने की साजिश
राधे और रणजीत ने कहा कि सरकार अपने परिचितों को प्रशासन में बड़े पदों पर बैठकर अगले कुछ साल में पूरी प्रशासनिक व्यवस्था को अपने हाथों से नियंत्रित करना चाह रही है। अगर इसी तरह से चलता रहा तो प्रशासन में सभी अधिकारी नेताओं के परिचित ही होंगे।

क्या है चयन प्रक्रिया
एमपीपीएससी में मुख्य परीक्षा 1400 नंबर की होती है और 175 नंबर का इंटरव्यू होता है। संगठन का आरोप है कि नेताओं के जो बच्चे मुख्य परीक्षा में कम नंबर लाते हैं उन्हें इंटरव्यू में अधिक नंबर देकर बड़े पदों पर पहुंचा दिया जाता है।

भाजपा नेताओं के बच्चों की सूची जारी करेगा संगठन
दोनों ने कहा कि पूरी सूची तैयार की जा रही है। इसमें कई नेताओं के परिचितों के नाम शामिल हैं। हम जल्द ही पूरी सूची सार्वजनिक करेंगे और सही फोरम पर मुद्दों को उठाएंगे।

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