जल संकट बना पारिवारिक तनाव की वजह, पानी नहीं मिलने पर महिलाएं छोड़ रहीं ससुराल

डिंडोरी। मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में भीषण गर्मी के चलते जल संकट गहराता जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि पानी की कमी अब घर-परिवार टूटने की वजह बनने लगी है। जिले के ग्राम देवरा में एक महिला ने पानी की कमी से तंग आकर ससुराल छोड़ दिया और मायके चली गई। यही नहीं, गांव की अन्य महिलाएं भी इस संकट से परेशान होकर जल्द मायके जाने की बात कह रही हैं।
कुआं और हैंडपंप भी दे रहे जवाब
ग्राम देवरा की आबादी लगभग 3,000 है, जिनमें से करीब 2,000 लोग हंस नगर और साकेत नगर को छोड़कर मुख्य गांव में रहते हैं। नल-जल योजना के तहत पानी की आपूर्ति तो है, लेकिन महीने में सिर्फ 10 दिन ही नल से पानी आता है। गांव में करीब 5 कुएं हैं, जो साफ-सफाई के अभाव में बेकार हो चुके हैं, वहीं केवल 3 हैंडपंप से ही मुश्किल से पानी निकलता है।
बाहुबलियों के दबाव का आरोप
गांव के निवासी जितेंद्र सोनी ने बताया कि नल-जल योजना के तहत देवरा गांव में पानी टंकी बननी थी, लेकिन बाहुबलियों के दबाव में टंकी हंस नगर में बना दी गई। पीएचई विभाग ने ग्रामीणों की एक न सुनी और अब पाइप लाइन बिछाने का कार्य भी धीमा चल रहा है, जिससे गांव जल संकट की गिरफ्त में है।
“पानी नहीं तो मैं भी नहीं” — पत्नी ने छोड़ा घर
जितेंद्र ने बताया कि उनकी पत्नी और बच्चे पानी की कमी के चलते ससुराल छोड़कर मायके चले गए हैं। पत्नी ने उनसे बोरिंग कराने की मांग की थी, लेकिन बेरोजगारी की वजह से वे यह नहीं कर सके। निराश होकर पत्नी ने कहा, “पानी नहीं तो मैं भी नहीं”, और घर छोड़ गई।
जितेंद्र अब इस मुद्दे को लेकर जनसुनवाई में कलेक्टर के सामने अपनी बात रखने की योजना बना रहे हैं।
महिलाएं शौच के लिए मजबूर बाहर जाने को
गांव की अन्य महिलाओं ने भी बताया कि शौचालय तो हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं होता। पढ़ी-लिखी महिलाएं खुले में शौच नहीं जा सकतीं, जिससे घरेलू तनाव और झगड़े बढ़ रहे हैं। एक महिला ने तो यहां तक कहा कि वह भी जल्द मायके लौटने वाली है, क्योंकि पानी के लिए रोजाना का संघर्ष अब असहनीय हो गया है।
जल संकट बना गंभीर सामाजिक समस्या
देवरा गांव की यह स्थिति साफ दर्शाती है कि जल संकट अब सिर्फ एक बुनियादी जरूरत नहीं, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं की जड़ बनता जा रहा है। जब तक स्थायी समाधान नहीं निकलता, तब तक इस तरह की मानसिक और सामाजिक पीड़ा का सामना ग्रामीणों को करना पड़ेगा।