फिल्मों में छोटे-छोटे रोल करके स्टार बन गए थे महावीर शाह, ऐसे लिखी थी अपनी किस्मत
मुंबई : हर बार शनिवार को ‘सैटर्डे सुपरस्टार’ में हम आपके सामने एक ऐसे कलाकार की कहानी लेकर पेश होते हैं, जिन्हें बहुत ही कम लोग जानते हैं। लेकिन उन्होंने अपने काम से हिंदी सिनेमा को अमिट पहचान दी है। ऐसे कलाकारों की भी कहानी बताते हैं, जिन्होंने लोगों के दिलों पर अपनी एक्टिंग की गहरी छाप छोड़ी। इस बार ऐसे ही एक कलाकार की कहानी और उसकी जिंदगी के अनछुए पहलुओं को लेकर हम आपके सामने हाजिर हुए हैं। आज जिसकी बात हो रही है, उनका नाम है महावीर शाह। इन्हें आपने ज्यादातर फिल्मों में एक घूसखोर पुलिसवाले के रोल में देखा होगा। सत्तर के दशक में महावीर शाह का खूब जलवा था।
महावीर शाह किसी फिल्म में पुलिसवाले बनते तो किसी में वकील या फिर गुंडा। फिल्मी पर्दे पर उनकी एंट्री ऐसी होती थी, कि देखकर ही लगता था कि वह मक्कारी किस्म का कुछ करने वाले हैं। पर दुख की बात है कि महावीर शाह जैसा हीरा फिल्मी दुनिया में टाइपकास्ट होकर ही रह गया। उन्होंने अपने करियर में जितनी भी फिल्में कीं, उनमें नेगेटिव, विलेन और गुंडागर्दी वाले किरदारों में ही देखा गया। जबकि असल में वह थिएटर के मंझे हुए खिलाड़ी थे।
महावीर शाह का जन्म
महावीर शाह का जन्म 5 अप्रैल 1960 में मुंबई में हुआ था। बचपन से ही महावीर शाह को एक्टिंग का चस्का लग गया था। 1977 से 2003 तक महावीर शाह ने ढेरों फिल्में कीं, जिनमें वह कभी पुलिसवाले तो कभी वकील के रोल में नजर आए। बेशक महावीर शाह थिएटर के मंझे हुए कलाकार थे, पर उन्हें कभी उनकी काबिलियत के हिसाब से रोल नहीं मिले।
गुजराती सिनेमा में भी किया काम
हिंदी के अलावा महावीर शाह ने गुजराती फिल्मों और टीवी सीरियलों में भी खूब काम किया। वह ‘बादशाह’, ‘पुलिस और मुजरिम’, ‘यस बॉस’, ‘झूठा कहीं का’, ‘दयावान’, ‘कच्चे धागे’, ‘मेहंदी’, ‘अंधा कानून’, ‘अब क्या होगा’, ‘जिद’ और ‘राजा बाबू’ जैसी कई फिल्मों में नजर आए। महावीर शाह ने बेशक ढेरों फिल्में कीं, लेकिन छोटे रोल ही मिले। पर उन्हें छोटे किरदारों के दम पर ही महावीर शाह ने इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बना ली थी।
फिल्में नहीं मिलीं तो टीवी सीरियलों में काम
जब महावीर शाह को फिल्मों में मनमुताबिक रोल नहीं मिले, तो उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वह फिर टीवी की दुनिया में आ गए। यहां उन्होंने ‘ज़ी हॉरर शो’ से शुरुआत की। बाद में उन्होंने ‘दास्तान’ और ‘सुराग’ में काम किया।