Mahadev Betting App: सीबीआई की छापेमारी से सियासी हलचल, भाजपा नेता की चिट्ठी चर्चा में

Mahadev Betting App, रायपुर। महादेव ऑनलाइन गेमिंग एप घोटाले में सीबीआई ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधायक देवेंद्र यादव, वर्तमान और पूर्व नौकरशाहों के ठिकानों समेत देशभर में 60 स्थानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई के साथ ही प्रदेश की सियासत गरमा गई है। इसी बीच, भाजपा नेता और अधिवक्ता नरेश चंद्र गुप्ता की सीबीआई डायरेक्टर को लिखी चिट्ठी चर्चा का विषय बनी हुई है, जिसमें घोटाले से जुड़े पैसों के लेन-देन का खुलासा करते हुए विस्तृत जांच की मांग की गई थी।
घोटाले में नौकरशाहों और राजनेताओं की संलिप्तता
अधिवक्ता नरेश गुप्ता ने अपनी पांच पन्नों की चिट्ठी में दावा किया कि यह घोटाला छत्तीसगढ़ में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के प्रभावशाली अधिकारियों और कुछ राजनेताओं के गठजोड़ के जरिए अंजाम दिया गया। उन्होंने इसे एक संगठित अपराध सिंडिकेट बताया, जिसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और नार्को-फंडिंग नेटवर्क से संबंध होने की आशंका जताई गई है।
उन्होंने दावा किया कि दुबई स्थित प्रमोटर शुभम सोनी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ₹508 करोड़ की ‘सुरक्षा राशि’ का भुगतान किया। इसके अलावा, इस पैसे के तार कुख्यात गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम से जुड़े आतंकी फंडिंग नेटवर्क से भी जुड़े हो सकते हैं। वहीं, एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने हवाला चैनलों के जरिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए ₹81 करोड़ प्राप्त करने की बात स्वीकार की है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप
पत्र के अनुसार, एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने आईजी आनंद छाबड़ा, एसपी प्रशांत अग्रवाल और एसपी शेख आरिफ सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों पर अवैध सट्टेबाजी गतिविधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। दावा किया गया कि मई 2022 के बाद मुख्यमंत्री के ओएसडी विनोद वर्मा ने बड़ी रिश्वत के बदले पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराई।
ईडी की अदालत में दी गई फाइलिंग और एसीबी छत्तीसगढ़ के साथ हुए पत्राचार में दुबई से वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को बड़े पैमाने पर धन हस्तांतरित होने की पुष्टि हुई है। प्रमोटर शुभम सोनी के हलफनामे में रायपुर एसएसपी प्रशांत अग्रवाल सहित कई पुलिस अधिकारियों के नाम शामिल हैं।
राजनीतिक हस्तियों की भूमिका संदेह के घेरे में
ईडी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया था, लेकिन जानबूझकर देरी की गई और अंततः अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, जबकि उनकी पहचान पहले से ही स्पष्ट थी। मुख्य संदिग्ध रवि उप्पल के पूर्व राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के साथ करीबी संबंध बताए गए हैं, जिन्हें घोटाले की आय से ₹5 करोड़ मिलने का आरोप है।
अन्य संदिग्धों में विजय भाटिया, ओएसडी आशीष वर्मा और मनीष बंछोर शामिल हैं, जिनके मजबूत राजनीतिक और व्यावसायिक संबंध बताए जा रहे हैं। आरोप है कि इस घोटाले की रकम से कई नौकरशाहों और राजनेताओं के लिए संपत्तियां खरीदी गईं या निर्माण कार्य किया गया।
भाजपा नेता ने निष्पक्ष जांच की मांग की
भाजपा नेता नरेश गुप्ता ने अपनी चिट्ठी में घोटाले के अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पहलुओं की सीबीआई के नेतृत्व में विस्तृत जांच कराने की मांग की है। उन्होंने इस मामले से जुड़ी अवैध संपत्तियों की तत्काल कुर्की, घोटाले में शामिल सभी अधिकारियों, राजनेताओं और बिचौलियों की पहचान कर उन पर अभियोजन की कार्रवाई सुनिश्चित करने की अपील की। साथ ही, प्रमुख गवाहों की सुरक्षा पर भी जोर दिया।
उन्होंने इस मामले को हिमशैल का सिरा बताते हुए कहा कि इसमें कई राज्यों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन जुड़े हो सकते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के संकल्प का हवाला देते हुए निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई की मांग की।