उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर को धर्म नगरी काशी भी कहा जाता है। यहीं गंगा नदी के तट पर स्थित है बाबा विश्वनाथ का मंदिर जिसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में सबसे पवित्र शहरों में से काशी माना जाता है। माना जाता है कि भगवान विश्वनाथ यहां ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में निवास करते हैं। कैलाश छोड़कर भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था। शिव की नगरी काशी के बारे में मशहूर है कि यहां जिसकी मृत्यु होती है, उसे सीधा मोक्ष मिलता है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती से विवाह करने के बाद भगवान शिव कैलाश में रहते थे। लेकिन माता पार्वती अपने पिता के घर में ही रहती थी। ऐसे में जब माता पार्वती ने अपने साथ ले चलने का आग्रह किया तो उनकी बात मानकर भगवान शिव उन्हें काशी लेकर आ गए, जहां उन्हें विश्वनाथ या विश्ववेश्वर नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है ब्रह्मांड का शासक। मान्यता है कि भगवान श्री हरि विष्णु ने भी काशी में ही तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। काशी नागरी भगवान भोलेनाथ को इतनी प्रिय है कि ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में भोले बाबा और माता पार्वती काशी भ्रमण पर जरूर आते हैं।
मंदिर का इतिहास
काशी विश्वनाथ मंदिर अनादि काल से शैव दर्शन का केंद्र रहा है और स्कंद पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। काशी विश्वनाथ मंदिर में एक मुहर 9-10 शताब्दी ईसा पूर्व की है जो राजघाट की खुदाई में खोजी गई थी। मंदिर का उल्लेख 635 ई. में बनारस आए एक विदेशी यात्री ने भी किया था। इसे समय-समय पर कई मुस्लिम शासकों द्वारा ध्वस्त किया गया और उनमें अंतिम शासक औरंगजेब था। मंदिर की वर्तमान संरचना महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा वर्ष 1780 में बनवाई गई थी।
कैसे पहुंचें काशी?
वाराणसी हवाई मार्ग द्वारा देश के तमाम शहरों से जुड़ा है। वाराणसी और दिल्ली के बीच रोजाना सीधी उड़ानें संचालित होती हैं। वाराणसी एक महत्वपूर्ण और प्रमुख रेल जंक्शन भी है। यह शहर देश के सभी महानगरों और प्रमुख शहरों से रेल सेवा से जुड़ा है। सावन के पवित्र महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।