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नव संवत 2080 नवरात्रि पर शुभ महासंयोग नाव पर सवार आएंगी माँ भगवती

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर माँ भगवती नाव पर सवार होकर आ रही है, इसे देवी दुर्गा जी का शुभ वाहन माना जाता है, कहते हैं जब पृथ्वी पर माता नाव की सवारी कर आती हैं तो भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है 9 दिन में किए हर काम में सफलता मिलती है| ज्योतिषाचार्य ने बताया कि माता जी की सवारी वार पर निर्भर करती है चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी 22 मार्च 2023 को बुधवार है, बुधवार पर मां का आगमन नौका पर होता है। नाव के अलावा मां अंबे का डोली, सिंह, घोड़ा, हाथी भी वाहन है।नवरात्रि में मां दुर्गा जी 9 दिन तक अपने भक्तों के बीच रहती हैं।

इस दौरान जो देवी जी की सच्चे मन से भक्ति करता है उसका बेड़ा पार हो जाता है मान्यता है कि जो साधक नियम का पालन करते हुए 9 दिन तक, नवचंडी पाठ, देवी जी के मंत्रों का जाप और ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ रोजाना जाप करता है, उसे शत्रु और ग्रह बाधा की पीड़ा से मुक्ति मिलती है, कार्य बिना रुकावट पूरे होते हैं।

चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है, इस वर्ष मां दुर्गा जी का आगमन नौका पर होगा। शास्त्रों में मां के इस रूप को भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है। खास बात ये है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन कई शुभ योग बन रहे हैं इस समय में घटस्थापना आपके लिए बहुत ही लाभदायक और उन्नतिकारक सिद्ध होगा।

चैत्र नवरात्रि में अबकी बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रि

नवरात्रि के दौरान तीन सर्वार्थ सिद्धि योग 23 मार्च, 27 मार्च, 30 मार्च को लगेगा। जबकि अमृत सिद्धि योग 27 और 30 मार्च को लगेगा। रवि योग 24 मार्च, 26 मार्च और 29 मार्च को लगेगा और नवरत्रि के अंतिम दिन रामनवमी के दिन गुरु पुष्य योग भी रहेगा।चैत्र नवरात्र का आरंभ अबकी बार बुधवार को हो रहा है इसी दिन से हिंदू नववर्ष भी आरंभ भी हो जाएगा चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होने जा रही है।

इसी दिन से अनल तदुपरांत पिंगल नामक संवत भी शुरू होगा। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर माता का वाहन नाव होगा जो इस बात का संकेत है इस वर्ष खूब वर्षा होगी। आश्विन और चैत्र मास की नवरात्रि सबसे ज्यादा प्रचलित है। कहा जाता है कि सतयुग में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्रचलित चैत्र नवरात्रि थी, इसी दिन से युग का आरंभ भी माना जाता है। इसलिए संवत का आरंभ चैत्र नवरात्रि से ही होता है।

चैत्र नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त

कलश स्थापना (घटस्थापना) मुहूर्त :- 22 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 29 से सुबह 07 बजकर 39 तक घर स्थापना कर सकते हैं।

लाभ-उन्नति मुहूर्त :- उपरोक्त समय में लाभ-उन्नति मुहूर्त भी है। इस दिन लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह 06 बजकर 23 मिनट से सुबह 07 बजकर 55 मिनट तक है।

ब्रह्म मुहूर्त :-प्रात: 05:06 से 05:54 तक।

अमृत काल :- सुबह 11:07 से 12:35 तक।

विजय मुहूर्त :- दोपहर 02:47 से 03:35 तक।

सायाह्न सन्ध्या :- शाम 06:50 से 08:01 तक।

तीन शुभ योग :- इस बार नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल योग में हो रही है। इसके बाद ब्रह्म योग शुरू हो जाएगा। ब्रह्म योग के बाद इंद्र योग भी लगेगा। इन योगों में देवी की पूजा अर्चना करना बेहद शुभकारी मानी जाती है।

शुक्ल योग :- प्रात: 9 बजकर 18 मिनट तक

ब्रह्म योग :- 9 बजकर 19 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजे तक रहेगा।

इंद्र योग : ब्रह्म योग के बाद इंद्र योग प्रारंभ होगा।

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