जिंदादिल अनुपम खेर बोले- 37 रुपये लेकर मुंबई आया था, अब तक 523 फिल्में कर डाली है

मुंबई : अभिनेता अनुपम खेर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। अब तक पांच सौ से ज्यादा फिल्में कर चुके अनुपम खेर को देख कर लगता है जैसे उनकी कामयाबी के आगे उम्र भी कहीं ठहर सी गई है। इस खास इंटरव्यू में अभिनेता अपनी फिटनेस, जिंदगी के प्रति अपने नजरिए, राजनीति और अपने दोस्त सतीश कौशिक के बारे में खुलकर बात करते हैं:

आपने सुना होगा कि ऐज इज जस्ट ए नंबर! लेकिन अनुपम खेर को देखकर लगता है कि यह हकीकत है। आखिरकार आपकी फिटनेस का राज क्या है?

मैं अपनी फिटनेस पर काफी मेहनत कर रहा हूं। मुझे अपने आप को चुनौती देना अच्छा लगता है। इससे एक सेल्फ कॉन्फिडेंस की बात आती है। दरअसल, आपको अपने लक्ष्यों को बड़ा करना बहुत जरूरी है। अक्सर हम अपनी जिंदगी से समझौता कर लेते हैं। मगर जिंदगी के हालात से समझौता करना चाहिए। जिंदगी से आपको जो चुनौती मिलती है, उससे समझौता नहीं करना चाहिए। मुझे लगता है कि मैंने अपनी डेब्यू फिल्म सारांश में एक बुजुर्ग के किरदार से शुरुआत की थी, तो लोगों ने मुझे बूढ़ा होते नहीं देखा। उन्होंने मुझे सीधे ही बूढ़ा देखा था। (हंसते हुए) उस हिसाब से उन्हें मैं हमेशा ही जवान दिखूंगा।

कुछ लोग कहते हैं कि कलाकारों को राजनीति से दूर रहना चाहिए। कुछ लोग मौजूदा मुद्दों पर अपनी राय देते हैं। आप भी उनमें से एक हैं। क्या इसके चलते कोई नुकसान उठाना पड़ता है?

नुकसान के बारे में क्या सोचना। जो मेरी चेतना ने मुझे कहा अगर मैं वो ना कहूं, खासकर अगर कोई पूछे तो फिर मुझे लगता है कि मेरे जज्बात जो देश के बारे में हैं, उनका क्या होगा। जैसे प्रधानमंत्री देश का भला सोचते हैं और मैं उनके बारे में कुछ कहता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं किसी खास पार्टी के बारे में सोचता हूं। जो भी देश के बारे में अच्छा सोचता है, मैं उनके साथ हूं और जो बुरा सोचते हैं, मैं उनके बारे में बोलता हूं।

आजकल लोग बहुत जल्दी जिंदगी से निराश हो जाते हैं। वो कौन सी चीज है, जो आपमें जिंदादिली जगाए हुए है और आप दूसरों को प्रेरणा दे रहे हैं?

देखिए हमारे पास जो भी है और जो मुझे मिला है, मैं हमेशा उसके लिए भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं। मगर मेरी यात्रा को देखूं, तो मैं एक जंगल विभाग में एक क्लर्क का बेटा हूं, जो 37 रुपये लेकर मुंबई आया था। आज मैं अपनी 523वीं फिल्म की बात कर रहा हूं और अब तक 537 फिल्म साइन कर चुका हूं। जब से ये फिल्म शुरू हुई है, तब से मैंने 14 और फिल्में साइन की हैं और शूट भी कर लिए। तो हम ऊपर वाले का शुक्रगुजार नहीं होते हैं। हम हमेशा निराश ही रहते हैं कि मुझे कुछ और अच्छा मिल सकता था। मेरे दादा जी बहुत अच्छी बात कहते थे कि सुख और दुख आपके हाथ में हैं। आप बहुत दुखी हो सकते हैं ये सोचकर कि बहुत से लोग आपसे कितने अच्छे हैं, वहीं आप खुश हो सकते हैं कि कितने लोग आपसे बुरे हालत में हैं। दुनिया का कोई ऐसा इंसान नहीं है कि उसके पास खुशी का ये कारण नहीं हो सकता है। ऊपरवाले ने जो दिया है उससे खुश हों, जो नहीं मिला है उसका रंज मत करो। रोज सुबह उठकर आपकी आंख खुलती है और आप सांस लेते हैं, तो आप बहुत किस्मत वाले हैं। मेरा ये ही उसूल है। मेरे पिता कहते थे कि दुनिया में सबसे आसान काम किसी को खुश करना है। मैं भी यही कोशिश करता हूं।

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