संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार (17 दिसंबर) को संविधान पर चर्चा का अंतिम दिन है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में इस महत्वपूर्ण चर्चा का जवाब दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि संसद में देश की प्रगति को लेकर सार्थक चर्चा हुई है। मैं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों को नमन करता हूं। संविधान पर चर्चा भारत की युवा पीढ़ी के लिए अच्छी है। कई तानाशाह और उनके कुशासन को कुचलने का काम देश की जनता ने किया है। हम संविधान दुनिया में सबसे अलग है और हमें इस पर गर्व है।
- अमित शाह ने कहा- ‘हमने अपनी परंपराओं को नहीं छोड़ा। संविधान में गीता का भी संदेश शामिल है। अगर पढ़ने का चश्मा विदेशी है तो इसमें आपको भारतीयता नहीं दिखेगी। हमारा संविधान पाताल से भी गहरा है। यह किसी की नकल नहीं है। परिवर्तन जीवन का मंत्र है। समय के साथ-साथ संविधान को भी संशोधित करना पड़ता है।’
- ‘राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि 54 साल के एक नेता खुद को युवा कहते हैं। आजकल संविधान की कॉपी लेकर घूमते रहते हैं और कहते हैं कि संविधान बदल देंगे, संविधान बदल देंगे। संविधान में संशोधन का प्रावधान खुद संविधान में अनुच्छेद 368 के तहत है।’
- ‘कांग्रेस ने बड़ी निर्लज्जता के साथ 55 साल में संविधान में 78 संशोधन किए। अभिव्यक्ति की आजादी पर बंदिशें लगाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अनुच्छेद 19A जोड़ा। 39वें संविधान संशोधन में इंदिरा गांधी ने प्रावधान कराया कि प्रधानमंत्री किसी भी न्यायिक जांच के दायरे से बाहर हैं। 45वें संशोधन में राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 5 साल से बढ़ाकर 6 साल कर दिया, क्योंकि तब चुनाव होते तो हार जाते।’
- ‘पूरा विपक्ष चुनाव में ईवीएम पर सवाल उठाए जाते हैं। महाराष्ट्र में इनका सूपड़ा साफ हो गया तो ईवीएम पर हार का ठीकरा फोड़ने लगे। उधर, झारखंड में जीत गए तो नए कपड़े पहनकर शपथ ग्रहण में पहुंच गए। कुछ तो शर्म रखो… जनता देख रही है।’
- ‘कांग्रेस पार्टी ने तीन तलाक को खत्म करने का विरोध कर मुस्लिम बहनों को न्याय दिलाने का गुनाह किया। वोट बैंक की राजनीति हम नहीं कांग्रेस ने किया। एक मंत्री थे आरिफ मोहम्मद खान उन्होंने शाह बानो को मुआवजा देने की मांग की तो उनका मंत्री पद चला गया।’
- ‘मोदी सरकार ने देश को आजादी की गुलामी से मुक्ति दिलाने का काम किया है। 106वें संशोधन में हमने महिलाओं को 33% आरक्षण देने का प्रावधान किया। कई गैर-जरूरी आपराधिक कानूनों को खत्म करने का काम किया। अटलजी की सरकार में पहली बार बजट पेश करने की परंपरा में बदलाव किया था।’