खाली हवा में झूल रहा टोला का लक्षमण झुला : 19 करोड़ का पुल, टेस्टिंग के लिए विशेषज्ञ नहीं ढूढ़ पाया विभाग

दुर्ग। 19.40 करोड़ की लागत से तैयार सस्पेंशन ब्रिज जिसे लक्ष्मण झूला नाम दिया गया है, वह पिछले करीब 3 महीने से उद्घाटन के इंतजार में है। रायपुर और दुर्ग जिले की सीमा पर बना यह ब्रिज सिर्फ लोड टेस्टिंग की वजह से शुरू नहीं किया जा सका है। खबर है कि जल संसाधन विभाग को लोड टेस्टिंग के लिए एक्सपर्ट नहीं मिल रहे हैं. जिस वजह से ब्रिज बनने का बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। लगभग 225 मीटर लंबा यह ब्रिज पाटन के ग्राम परसदा स्थित ठकुराइन टोला घाट पर बनाया गया है। इस ब्रिज की खास बात यह है कि इसे लोहे की रस्सियों के सहारे बनाया गया है। ब्रिज में कॉलम का उपयोग नहीं किया गया है। लंबी अवधि की क्षमता, उच्च भार वहन क्षमता, लचीलापन और टिकाऊपन, सुंदरता के लिहाज से इसे तैयार किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि, सस्पेंशन ब्रिज का मुख्य घटक मुख्य केबल है, जो पुल के डेक को सहारा देने के लिए टावरों से गुजरते हैं। ये केबल बहुत मजबूत हैं और पुल के वजन और उस पर पड़ने वाले भार को सहने में सक्षम रखते हैं। पुल के दोनों सिरों पर टावर हैं, इसमें मुख्य केबलों को सुरक्षित रूप से बांधा गया है। छोटे और मुख्य केबल पुल के डेक को जोड़ हुए हैं। ये अन्य पुलों की तुलना में अधिक लचीले होते हैं. जो उन्हें भूकंप और तेज हवाओं जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने में सक्षम बनाते हैं।
लोड टेस्टिंग का काम जल्द होगा, तैयारी चल रही
जल संसाधन विभाग पाटन के अनुभागीय अधिकारी गोपी शर्मा ने बताया कि, लोड टेस्टिंग का काम जल्द होगा, इसे लेकर तैयारी चल रही है। रुढ़की आईआईटी के विशेषज्ञों की टीम जल्द आने वाली है। उनकी रिपोर्ट के बाद ब्रिज को शुरू किया जा सकेगा। करीब 19 करोड़ रुपए की लागत से ब्रिज को तैयार किया गया है।
आईआईटी रुड़की और विशेषज्ञों से किया संपर्क
जानकारी के मुताबिक, बिज की क्षमता करीब । हजार लोगों की है, लेकिन अब तक इसका लोड टेस्ट नहीं हुआ है। खबर है कि इसकी टेस्टिंग के लिए जल संसाधन विभाग ने आईआईटी रुढ़की के इंजीनियरों से संपर्क किया है, लेकिन उनके निरीक्षण का तारीख तय नहीं हो पाई है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो थर्ड पार्टी कंसलटेंट से भी मदद लेने की तैयारी है, ताकि किसी भी प्रकार की परेशानी सामने न आए। बहरहाल लक्ष्मण झूला को फिलहाल बंद रखा गया है। सुरक्षा गार्ड की तैनाती की गई है।
तीन साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया था भूमिपूजन
जानकारी के मुताबिक, करीब तीन साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका भूमिपूजन किया था। उस समय कहा गया था लक्ष्मण झूला बनने के साथ ही इस क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाएगा। गार्डन, खेलकूद के लिए झूले, बेहतर लाइटिंग से लेकर अन्य इंतजाम होने हैं, लेकिन लक्ष्मण झूला का ही काम पूरा नहीं हो पाया है। बता दें कि पिछले करीब तीन महीने से ब्रिज बनकर तैयार है। पिछले दिनों इसका रंग-रोगन भी किया। वर्तमान में रंग-रोगन खराब होने लगा है। देखरेख के अभाव में कुछ जगहों पर बनी दीवारों पर दरारें भी आने लगी हैं।