केटीआर ने कर्नाटक सरकार पर लगाया आरोप, कहा- बिल्डरों पर ‘चुनावी टैक्स’ लगा रही कांग्रेस

हैदराबाद :  भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामाराव ने शनिवार को कर्नाटक कांग्रेस पर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार तेलंगाना में पार्टी को फंड देने के लिए बेंगलुरु के बिल्डरों पर ‘राजनीतिक चुनाव कर’ लगा रही है।

सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

के. टी. रामाराव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, “जाहिर तौर पर कर्नाटक की नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना कांग्रेस को फंड देने के लिए बेंगलुरु के बिल्डरों पर 500 रुपये प्रति वर्ग फुट का ‘राजनीतिक चुनाव कर’ लगाना शुरू कर दिया है।”

उन्होंने कहा, “पुरानी आदतें मुश्किल से खत्म होती हैं। सबसे पुरानी पार्टी और घोटालों की इसकी समृद्ध विरासत पौराणिक है और इसलिए इसे फिर से स्कैमग्रैस का नाम दिया गया है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितना पैसा खर्च करते हैं, तेलंगाना के लोगों को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है। टीएस में घोटाले को ना कहें।”

कर्नाटक और छत्तीसगढ़ से पैसे ले रही तेलंगाना सरकार

केटीआर ने दो दिन पहले एक सार्वजनिक बैठक में आरोप लगाया था कि कांग्रेस मतदाताओं को लुभाने के लिए कर्नाटक और छत्तीसगढ़ से पैसा ले रही है और तेलंगाना में खर्च कर रही है।

17 सितंबर को हैदराबाद में एक विशाल सार्वजनिक बैठक में कांग्रेस ने अपनी छह गारंटियों का खुलासा किया है, जिसमें पार्टी के शीर्ष नेता मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने अपना संबोधन दिया था। इस गारंटी के बाद से बीआरएस नेता ने पार्टी पर अपने हमले तेज कर दिए हैं।

जिसकी खुद कोई वारंटी नहीं, वो गारंटी दे रही है

कांग्रेस पार्टी कुछ महीनों में होने वाले चुनावों में तेलंगाना में अपनी कर्नाटक जीत दोहराने को लेकर आश्वस्त है। केटीआर ने टिप्पणी की कि कांग्रेस, जिसके पास खुद कोई वारंटी नहीं है, वह गारंटी दे रही है। उन्होंने एक सार्वजनिक बैठक में कहा, “अपने 65 साल के शासन में, कांग्रेस पार्टी ने न तो पीने का पानी, बिजली, न ही पेंशन दी और न ही गरीबों की मदद की।”

केटीआर ने कांग्रेस का वादों का उड़ाया मजाक

केटीआर ने कांग्रेस द्वारा दी गई छह गारंटी का जमकर मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा, “अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो छह चीजें होंगी, किसानों को बिजली आपूर्ति की समस्याओं से जूझना पड़ेगा, लोग पीने के पानी के लिए लड़ना शुरू कर देंगे, किसानों को उर्वरकों के लिए कतारों में खड़ा होना पड़ेगा, राज्य को एक नया मुख्यमंत्री मिलेगा। हर साल, ग्राम पंचायतें बस्तियां बन जाएंगी और लोगों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तक पहुंच नहीं मिलेगी।”

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