Kolkata Rape Case : पश्चिम बंगान के कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के रेप और मर्डर मामले में न्याय की मांग कर रहे आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर अभी भी डटे हुए हैं. ऐसे में बुधवार को शहर भर के दुर्गा पूजा पंडालों में ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित करने के अलावा अपनी मारी गई सहकर्मी के लिए न्याय की मांग को हाइलाइट करते हुए खास पर्चे बांटेंगे.
जूनियर डॉक्टर देबाशीष हलदर ने मंगलवार रात को कहा- ‘कल हम एक रक्तदान शिविर आयोजित करेंगे और विभिन्न पूजा पंडालों में अपनी मांगों को उजागर करते हुए लीफलेट बांटेंगे. बीते दिन हमारे वरिष्ठ डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे ने हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाया है, लेकिन हमारा मानना है कि पश्चिम बंगाल सरकार उन पर दबाव डाल रही है.’
50 से अधिक डॉक्टरों का सामूहिक इस्तीफा
शनिवार रात से सात जूनियर डॉक्टर आमरण अनशन पर बैठे हैं, जिनका कई सीनियर कलीग्स ने भी समर्थन किया है और एकजुटता दिखाते हुए उनके साथ शामिल हुए हैं. इससे पहले दिन में, आरजी कर अस्पताल के 50 से अधिक डॉक्टरों ने जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में सामूहिक इस्तीफा दे दिया था. .
हालांकि, राज्य सरकार ने दावा किया कि उसे ऐसा कोई इस्तीफा नहीं मिला है. डॉक्टर हीरालाल कोनार ने कहा- ‘राज्य चुप नहीं रह सकता. उन्हें इस गतिरोध को हल करने के लिए चर्चा में शामिल होना चाहिए. अगर नेक काम के लिए अनशन कर रहे इन युवा डॉक्टरों को कुछ हुआ, तो राज्य जवाबदेह होगा.’
आमरण अनशन कर रहे डॉक्टर
मंगलवार शाम को, जूनियर और वरिष्ठ डॉक्टरों ने अपने आमरण अनशन कर रहे सहयोगियों के समर्थन में दो रैलियां निकालीं, जिसमें विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के वरिष्ठ डॉक्टरों ने भाग लिया. एक रैली कोलकाता मेडिकल कॉलेज से शुरू हुई और दूसरी एसएसकेएम अस्पताल से, दोनों एस्प्लेनेड में समाप्त हुईं जहां आमरण अनशन कर रहे डॉक्टरों ने अपना विरोध जारी रखा.
इस बीच, एसएसकेएम अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों ने धमकी दी कि अगर राज्य सरकार जूनियर डॉक्टरों की मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो वे सामूहिक इस्तीफा देंगे. जूनियर डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया है कि मृत महिला चिकित्सक के लिए न्याय सुनिश्चित करना उनका प्राथमिक ध्यान है. उनकी अन्य मांगों में स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम को तत्काल हटाना, प्रशासनिक विफलताओं के लिए जवाबदेही और विभाग के भीतर भ्रष्टाचार से निपटने के उपाय शामिल हैं.
डॉक्टरों ने रखी कई मांगें
उनकी अन्य मांगों में अस्पतालों के लिए एक सेंट्रलाइज्ड रेफरल सिस्टम स्थापित करना, बेड वैकेंसी मॉनीटरिंग सिस्टम लागू करना, कार्यस्थलों पर उचित सुविधाएं सुनिश्चित करना और अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा बढ़ाना शामिल है. वे अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा बढ़ाने, स्थायी महिला पुलिस कर्मियों की भर्ती और डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के रिक्त पदों को तेजी से भरने की भी मांग कर रहे हैं.
जूनियर डॉक्टरों ने 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक साथी चिकित्सक के साथ बलात्कार-हत्या के बाद अपना विरोध शुरू किया. राज्य सरकार से उनकी मांगों को संबोधित करने के आश्वासन के बाद, उन्होंने 42 दिनों के बाद उन्होंने 21 सितंबर को अपना आंदोलन समाप्त किया.
हालांकि, पिछले सप्ताह सरकारी कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड सगोर दत्ता अस्पताल में एक मरीज के परिवार द्वारा उन पर किए गए हमले के बाद डॉक्टरों ने 1 अक्टूबर को अपना ‘काम बंद’ कर दिया और ‘आमरण-अनशन’ आंदोलन शुरू किया. शनिवार को राज्य सरकार उनकी मांगों को पूरा करने में विफल रही.