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जानें ज्योतिष में क्या होता है ‘युति’, दो ग्रहों की युति से जातक में दिखते हैं ऐसे गुण

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हिंदू ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के गोचर का विशेष महत्व बताया गया है। जब कोई ग्रह राशि परिवर्तन करता है तो जन्म कुंडली के एक ही भाव में दो या अधिक ग्रहों के एक साथ बैठने को ‘युति’ कहा जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, यदि किसी जातक की कुंडली में एक ही भाव में दो ग्रहों की युति निर्मित होती है तो जातक में ऐसे गुण हो सकते हैं।

सूर्य और चंद्र की युति: पराक्रमी, अहंकारी, कार्यकुशल, विषयासक्त, चतुर, दुष्ट।

सूर्य और मंगल की युति: पापबुद्धि, क्रोध, कलही, मिथ्यावादी, बलवान्, मूर्ख।

सूर्य-बुध की युति: विद्वान्, बुद्धिमान्, यशस्वी, स्थिर-धनी, प्रियवादी, कला प्रेमी।

सूर्य गुरु की युति: धनी, शास्त्रज्ञ, धर्मात्मा, राजमान्य, चतुर, परोपकारी।

सूर्य शुक्र की युति: बलवान, बुद्धिमान, स्त्री-प्रिय, स्त्री द्वारा धन पाने वाला।

सूर्य- शनि की युति: विद्वान्, कार्यकुशल, धार्मिक, गुणी, बुद्धिमान।

चंद्र-मंगल की युति: धनी, प्रतापी, शिल्पज्ञ, व्यवसाय द्वारा धनोपार्जन ।

चन्द्र -बुध की युति: सुन्दर, धनी, गुणी, स्त्री प्रिय, वाक्पटु, दयालु ।

चन्द्र-गुरु की युति: परोपकारी, धर्मात्मा बंधु-प्रिय, विनम्र, देवी भक्त।

चन्द्र-शुक्र: व्यसन प्रेमी, कलहकारी, सुगंध प्रिय, अनेक कार्यों का ज्ञाता।

चन्द्र और शनि की युति: आचार-विहीन, पुरुषार्थ-हीन, पर-स्त्री-प्रेमी, अल्प संतति

मंगल बुध की युति: कुरूप, निर्धन, कृपण, विधवा स्त्रियों का प्रेमी।

मंगल और गुरु की युति: वाक्पटु, मेधावी, शिल्पज्ञ, शास्त्रज्ञ, उच्चाधिकारी।

मंगल शुक्र की युति: जुआरी, प्रपंची, मिथ्यावादी,परस्त्रीगामी, गुणी।

मंगल और शनि की युति: कलही, अल्प धनी, शस्त्र एवं शास्त्रज्ञ, अपयशी, चोर।

बुध-गुरु की युति: सुखी, विनम्र, पंडित, नीतिज्ञ, धैर्यवान्, गुणी, उदार।

बुध और शुक्र की युति: सुखी, प्रतापी, चतुर, सुन्दर, संगीतज्ञ।

बुध-शनि की युति: सैर सपाटे का शौकीन, कलह प्रिय, चंचल, उद्योगहीन, कला कुशल।

गुरु-शुक्र की युति: धन, पुत्र, मित्र, स्त्री आदि से सुखी, गुणी, विद्वान्।

गुरु-शनि की युति: यशस्वी, शूरवीर, धनी, कला कुशल, स्त्री से लाभान्वित।

शुक्र और शनि की युति: उन्मत्त प्रकृति, दारुण संग्राम करने वाला, शिल्प कुशल।

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