केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका, मोदी की डिग्री विवाद में ट्रायल जारी रहेगा
पीएम नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर की गई टिप्पणी वाले मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका मिला है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक की याचिका को सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दी है।
पीएम नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर की गई टिप्पणी वाले मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका मिला है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक की याचिका को सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दी है।
पीएम नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर की गई टिप्पणी वाले मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका मिला है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक की याचिका को सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया है। गुजरात यूनिवर्सिटी की ओर दर्ज मानहानि केस में केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने समन जारी किया था। पूर्व सीएम ने इसे रद्द कराने के लिए पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
जस्टिस ऋषिकेश रॉय और एसवीएन भाटी की बेंच ने हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा कि इसी तरह की याचिका आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी दायर की थी और इस अदालत ने खारिज कर दिया था। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दायर याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा, ‘हम हस्तक्षेप के इच्छुक नहीं हैं, एक याचिकाकर्ता हमारे पास आए थे और इसे खारिज कर दिया गया था।’ केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि संजय सिंह की ओर से दिया गया बयान अलग था, लेकिन बेंच ने इसे नहीं माना।
इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने फरवरी में समन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट से निराशा हाथ लगने के बाद पूर्व सीएम ने देश की सबसे बड़ी अदालत का रुख किया था। अब यहां से भी राहत नहीं मिलने के बाद उन्हें गुजरात की अदालत में पेश होना पड़ेगा।
केजरीवाल और संजय सिंह के खिलाफ दायर मानहानि केस में आरोप लगाया गया है कि दोनों नेताओं ने पीएम मोदी की डिग्री को लेकर गुजरात यूनिवर्सिटी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की ओर से दोनों के खिलाफ पिछले साल अप्रैल में समन जारी किया गया था। हाई कोर्ट में दोनों नेताओं ने दलील दी थी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि उन्होंने यूनिवर्सिटी को लेकर बयान नहीं दिया था। वहीं गुजरात यूनिवर्सिटी की ओर से कहा गया कि उसकी छवि को नुकसान पहुंचाया गया और इसके लिए उन्हें ट्रायल का सामना करना चाहिए।