जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल से जुड़े इन नियमों का रखें ध्यान, तभी होगा कल्याण

हर साल भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है। इस साल 6 और 7 सितंबर, दोनों दिन जन्माष्टमी मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के मौके पर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। मंदिरों के साथ ही घरों में भी बाल गोपाल की पूजा होती है और उनके लिए झूले सजाए जाते हैं। लेकिन धर्म शास्त्रों में घर में लड्डू गोपाल को रखने के कई विशेष नियम हैं। ऐसे में अगर आप जन्माष्टमी  पर अपने घर में लड्डू गोपाल को स्थापित करना चाहते हैं तो इससे जुड़े कुछ नियमों को जरूर जान लें।

बाल गोपाल को कृष्ण का बाल स्वरुप माना जाता है। एक बच्चे की तरह उनकी सेवा की जाती है। सुबह जल्दी उठकर बाल गोपाल की पूजा करें और उन्हें भोग लगाएं। बाल गोपाल की पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सभी सामग्रियां शुद्ध और सात्विक होनी चाहिए।

लड्डू गोपाल का श्रृंगाार

लड्डू गोपाल का नवजात शिशु की तरह ख्याल रखना चाहिए। बाल गोपाल को स्थापित करने से लड्डू गोपाल, परिवार के एक सदस्य बन जाते हैं। उन्हें रोजाना गुनगुने पानी से स्नान कराएं और साफ कपड़े पहनाएं। उनको चंदन का टीका लगाएं और उनका श्रृंगार करें। बाल गोपाल के श्रृंगार में उनके कान की बाली, कलाई में कड़ा, हाथों में बांसुरी और मोरपंख लगाएं.

वस्त्रों का चयन

बाल गोपाल के कपड़ों को रोजाना बदलें। साथ ही दिन के अनुसार अलग-अलग रंग वाले कपड़े पहनाएं। जैसे सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को नारंगी, शनिवार को नीला और रविवार को लाल कपड़ा पहनाएं।

रोज लगाएं भोग

लड्डू गोपाल की सुबह-शाम श्रद्धापूर्वक पूजा करें। उनकी आरती उतारें और उन्हें माखन-मिश्री, बूंदी या मीठी चीज का भोग लगाएं। साथ ही उन्हें तुलसी की पत्तियां अर्पित करें।

सात्विक भोजन

अगर घर के मंदिर में लड्डू गोपाल विराजमान हैं तो रोजाना लहसुन और प्याज रहित भोजन बनाएं और किचन में जो भी बनाएं, तो उन्हें भोग लगाना ना भूलें। घर में कोई खाने की चीज लाएं, तो उन्हें अवश्य भोग लगाएं।

बच्चों की तरह देखभाल

लड्डू गोपाल की परिवार के सदस्यों की तरह देखभाल करें। उन्हें अपने साथ बाहर घुमाने ले जाएं और खिलौने अर्पित करें। रात में लड्डू गोपाल को एक शिशु की तरह सुलाएं, झूला झूलाएं और उन्हें लोरी सुनाएं।

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