धारवाड़ : धारवाड़ की लड़ाई विधानसभा चुनाव तक ही सीमित नहीं है, दरअसल, यहां पर विधानसभा की महिला सदस्यों ने इस चुनाव को न्याय की लड़ाई में बदल दिया है।
कांग्रेस उम्मीदवार विनय कुलकर्णी की धारवाड़ जिले में प्रवेश करने पर रोक लगाए जाने पर उनकी पत्नी और बेटी मतदाताओं को समझाने के लिए घर-घर जा रही है, जबकि वह खुद सोशल मीडिया के माध्यम से अपने परिवार का समर्थन करने के लिए निर्वाचन क्षेत्र की परिधि में डेरा डाले हुए हैं।
विनय कुलकर्णी पिछले तीन सालों से निर्वाचन क्षेत्र से बाहर
जिला पंचायत सदस्य योगेश गौड़ा की हत्या के मामले में आरोपी और जमानत पर बाहर आए कुलकर्णी को सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि वो धारवाड़ जिले में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। हालांकि, उन्होंने चुनावों का हवाला देते हुए इस प्रतिबंध से राहत पाने की कोशिश की, लेकिन उच्च न्यायालय ने हाल ही में उनके अनुरोध को खारिज कर दिया।
दो बार धारवाड़ सीट से हासिल की जीत
खान और भूविज्ञान के पूर्व मंत्री विनय कुलकर्णी धारवाड़ सीट से दो बार जीत चुके हैं। 2004 में एक बार निर्दलीय और फिर 2013 में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने जीत हासिल की थी। उनकी पत्नी शिवलीला ने कहा, “मेरे पति लगभग तीन साल से निर्वाचन क्षेत्र से बाहर रह रहे हैं। जब हमने हत्या के आरोप के बाद अपने दोस्तों और रिश्तेदारों का समर्थन खो दिया तो, मैंने अकेले खड़े होकर अभियान चलाने का फैसला किया।”
डोर-टू-डोर कैंपेन कर रहीं कुलकर्णी की पत्नी
पिछले कुछ चुनावों में कुलकर्णी की पत्नी सक्रिय रूप से चुनावी गतिविधियों में शामिल नहीं थीं, लेकिन अब पूरे परिवार ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया है। शिवलीला डोर-टू-डोर प्रचार में व्यस्त हैं और निर्वाचन क्षेत्र में अपने पति का कटआउट रखते हुए रैलियां कर रही हैं।
‘करो या मरो’ के नारे लगा रही शिवलीला
शिवलीला ने कहा, “मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों से आमने-सामने मिलने और उन्हें हमारी पार्टी को वोट देने के लिए राजी करने की कोशिश कर रही हूं। जनता की प्रतिक्रिया अब तक अच्छी रही है।” उन्होंने कहा और विश्वास जताया कि उनके पति अच्छे अंतर से चुनाव जीतेंगे। शिवलीला, जिन्होंने कभी भी सार्वजनिक भाषण नहीं दिया और न ही किसी पार्टी में किसी भी पद पर रहीं, वो आज अपने बच्चों के साथ अपने परिवार के लिए अभियान में ‘करो या मरो’ के नारे लगा रही हैं।